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दुनिया में हथियारों की खरीद के टूटे सारे रिकॉर्ड, 2023 में सैन्य खर्च 6.8 फीसदी बढ़ा

Global military spending surges amid war, rising tensions and insecurity

Global military spending surges amid war (Photo Credit – India Today)

स्टॉकहोल्म, उज्जवल इंण्डिया न्यूज़ डेस्क।  Global Military Spending: दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा अब धीरे-धीरे और गहराता जा रहा है। दुनियाभर में हथियारों की खरीद ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले हैं। दुनिया भर में सेनाओं और हथियारों पर फिलहाल जितना खर्च हो रहा है, उतना अब तक कभी नहीं हुआ।

स्वीडन के स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया में इस वक्त हथियारों, गोला-बारूद और दूसरे सैन्य साज-ओ-सामान पर विभिन्न देश जितना धन खर्च कर रहे हैं, उतना इससे पहले कभी नहीं हुआ। साल 2023 में वैश्विक सैन्य खर्च एक नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में सैन्य खर्च 2022 के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़कर 24.4 खरब डॉलर पर पहुंच गया। 2022 में यह खर्च 22.4 खरब डॉलर था।

एक साल में सबसे बड़ी वृद्धि

सिपरी का कहना है कि साल 2009 के बाद यह एक साल में सबसे बड़ी वृद्धि है और लगातार नौवां साल है जब खर्च बढ़ा है। इस वृद्धि में जिन दस देशों का योगदान सबसे ज्यादा है उनके सैन्य खर्च में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध की भी इस वृद्धि में बड़ी भूमिका है।

कम सुरक्षित महसूस कर रही दुनिया

सिपरी के शोधकर्ता लॉरेंजो स्काराजातो का कहना है कि, “हम जिन क्षेत्रों के खर्चों पर नजर रखते हैं, उन सभी में वृद्धि हुई है। इससे संकेत मिलता है कि दुनिया अब कम सुरक्षित महसूस कर रही है और कूटनीति के बजाय दूसरे तरीकों की ओर जा रही है।”

स्काराजातो ने कहा कि देश तनाव और अस्थिरता महसूस करते हैं और उसे हल करने के लिए कूटनीतिक तरीकों का सहारा लेने के बजाय सख्त सुरक्षा उपायों पर निर्भर हो रहे हैं, जिससे सैन्य खर्च में निवेश बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “(वृद्धि के) मुख्य कारकों में से एक तो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध है। हमने देखा है कि कैसे यूरोप में सैन्य खर्चएकाएक बढ़ा है।”

सैन्य खर्च के मामले में अमेरिका टॉप पर

सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका अब भी सबसे ऊपर बना हुआ है। 2023 में अमेरिका ने 916 अरब डॉलर इस मद में खर्च किए जो दुनियाभर के कुल खर्च का 37 फीसदी यानी एक तिहाई से भी ज्यादा है। इसके बाद चीन का नंबर है। चीन ने 296 अरब डॉलर खर्च किए, जो कुल खर्च का 12 फीसदी है। यह 2022 से 6 फीसदी ज्यादा है। इन दोनों देशों ने ही कुल खर्च में आधे का योगदान दिया।

सैन्य खर्च के मामले में रूस तीसरे नंबर पर है। 2023 में रूस का खर्च 2022 के मुकाबले 24 फीसदी बढ़कर 109 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किया था, तब के बाद से यह 57 फीसदी की वृद्धि है। रूस अपनी जीडीपी का 5.9 फीसदी सेना पर खर्च कर रहा है।

सैन्य खर्च के मामले में भारत का चौथा स्थान

सैन्य खर्च के मामले में भारत का चौथा स्थान है। इसके बाद सऊदी अरब का नंबर है। भारत ने पिछले साल सैन्य क्षेत्र में 83.6 अरब डॉलर खर्च किए हैं। 2022 के मुकाबले यह 4.2 फीसदी ज्यादा था। भारत के बाद सऊदी अरब का नंबर है।

यूक्रेन सैन्य खर्च के मामले में आठवां सबसे बड़ा देश रहा। उसका खर्च 51 फीसदी बढ़कर 64.8 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो उसकी कुल जीडीपी का 37 फीसदी है। हालाँकि इसमें रूस के साथ चल रहे युद्ध का बड़ा योगदान है।

कांगो के सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि

सैन्य खर्च में सबसे बड़ी वृद्धि डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में देखी गई, जहां सरकार और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है। उसका खर्च 105 फीसदी बढ़ा है।
मध्य पूर्व में सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देश इस्राएल ने 2022 से 24 फीसदी ज्यादा, 27.5 अरब डॉलर खर्च किए। उधर ईरान क्षेत्र में चौथा सबसे ज्यादा खर्च करने वाला देश रहा जिसने 10.3 अरब डॉलर का कुल खर्च किया। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक ईरान में सेना पर होने वाला खर्च 2019 में 27 फीसदी था जो अब बढ़कर 37 फीसदी हो चुका है।

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