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UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता पर चीन ने लगाया अड़ंगा तो भारत ने दिया मुहतोड़ जवाब

UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता पर चीन ने लगाया अड़ंगा तो भारत ने दिया करारा जवाब

India Criticises Group That Is Opposed To UN Security Council Reforms

संयुक्त राष्ट्र, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। UNSC में भारत की स्थायी सदयस्ता को लेकर चीन ने एक बार फिर अड़ंगा लगा दिया है। इस बार चीन ने भारत विरोधी सोच रखने वाले एक ग्रुप के साथ मिलकर अड़ंगा लगाया है। इस समूह का नाम यूनाइटि‍ंग फार कंसेंसस (यूएफसी) है। इस ग्रुप में चीन, पाकिस्तान, तुर्की सहित भारत विरोधी सोच रखने वाले कई देश शामिल है। इस ग्रुप ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् यानी UNSC में एक मसौदा पेश कर स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाए जाने का विरोध किया है। हालाँकि भारत ने इसका मुहतोड़ जवाब दिया है।

क्या कहा यूएफसी समूह ने

यूएफसी समूह का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यों की संख्या बढाए जाने के बजाये अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए। समूह ने कहा है कि सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 26 किया जाना चाहिए। इनमें से नौ सदस्य लंबे समय के लिए चुने जाएंगे।

भारत ने UNSC में क्या जवाब दिया

भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर इस समय गंभीर खतरा मंडरा रहा है। मौजूदा संयुक्त राष्ट्र इन खतरों से निपटने में विफल साबित हुआ है। इसलिए 21 वीं सदी में संयुक्त राष्ट्र 2.0 की जरूरत है। यह तभी संभव होगा जब संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाई जाए।

Ruchira Kamboj

यूएफसी पर निशाना साधते हुए रुचिरा कंबोज ने कहा कि यूएफसी समूह अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया की भावनाओं को अभिव्यक्त नहीं करता हैं। अफ्रीका महाद्वीप के 54 सदस्य देश सुरक्षा परिषद के दोनों (स्थायी और अस्थायी) स्वरूपों में विस्तार चाहते हैं लेकिन यूएफसी ने उनकी भावना के खिलाफ यह मसौदा पेश किया है।

कंबोज ने उठाया सवाल

कंबोज ने सवाल उठाया- क्या अफ्रीकी देश संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अपनी आवाज मजबूत नहीं करना चाहेंगे ? उन्होंने कहा, “भारत ग्लोबल साउथ (दक्षिण के विकासशील देशों का समूह) की आवाज को मजबूत करना चाहता है। बदलते वैश्विक परि²श्य के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में भी बदलाव होना चाहिए।”

भारत ने कहा था- UNSC में सुधार के लिए और कितना इंतजार

करीब 10 दिन पहले भी भारत ने UNSC में बदलाव की मांग उठाई थी। तब भारतीय ने कहा था- सुरक्षा परिषद में सुधारों पर चर्चा 1990 के दशक में शुरू हुई थी। दुनिया और हमारी आने वाली पीढ़ियों को अब और कितना इंतजार करना होगा? हम और इंतजार नहीं कर सकते। अब भी अगर बदलाव नहीं हुए तो UNSC एक ऐसा संगठन बन जाएगा जो गुमनामी की तरफ बढ़ रहा है।

क्या है यूएफसी समूह और क्यों हुआ था इसका गठन?

आपको बता दें, संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् (UNSC) का गठन 1945 में हुआ था। इसके बाद धीरे-धीरे संयुक्त राष्ट्र में सदस्य देशों की संख्या बढ़ती गई। हालांकि इस दौरान UNSC में कोई बदलाव नहीं हुआ। यानि सुरक्षा परिषद् में गठन से लेकर अब तक सदस्य देशों की संख्या जस की तस यानी 15 ही रही। इनमें से 5 स्थायी सदस्य हैं और 10 अस्थायी हैं। अस्थायी सदस्यों का कार्यकाल केवल 2 साल का होता है। उसके बाद नए देशों का चुनाव होता है। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं।

UNSC

ऐसे में UNSC में सुधार को लेकर भारत, जापान, जर्मनी और ब्राजील ने G4 देशों का एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप का उद्देश्य था कि UNSC का अब विस्तार किया जाए और G4 देशों को स्थायी सदस्यता दी जाये। G4 देशों को स्थायी सदस्यता लेने से रोकने के लिए कुछ अन्य देशों ने UFC का गठन किया। इसे कॉफी क्लब समूह भी कहा जाता है। इस ग्रुप में ऐसे देश शामिल हैं जिनको कभी भी स्थायी सदस्यता नहीं मिल सकती। इन ग्रुप का काम केवल अड़ंगा लगाना है।

यूएफसी में कौनसे देश शामिल हैं?

आपको बता दें, यूएफसी में 12 देश और 2 ऑब्जर्वर शामिल हैं। इसके सदस्य देशों में पाकिस्तान, तुर्किये, कनाडा, इटली, साउथ कोरिया, अर्जेंटीना, कोलंबिया, कोस्टारिका, माल्टा, मेक्सिको, सैन मारीनो और स्पेन शामिल हैं। वहीँ चीन और इंडोनेशिया इसके 2 ऑब्जर्वर देश हैं।

Member Countries of UFC

भारत क्यों चाहता है UNSC में स्थायी सदस्यता?

UNSC संयुक्त राष्ट्र की सबसे पावरफुल संस्था है। इसके स्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर होती है। स्थायी सदस्यों में से यदि कोई भी देश किसी फैसले से असहमत होता है तो वीटो पावर का इस्तेमाल कर उसे पास होने से रोक सकता है। यदि भारत स्थायी सदस्य बनता है तो भारत महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दे और नीति निर्माण में अहम भूमिका निभा पाएगा। भारत की उभरती हुई सुपर पावर की छवि को बढ़ावा मिलेगा। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। दुनिया के किसी भी बड़े मसले पर भारत की सहमति जरूरी होगी। इसके अलावा भारत पीओके तथा ब्लूचिस्तान के संदर्भ में पाकिस्तान पर मज़बूत पकड़ बनाने में सक्षम हो पाएगा।

भारत के सामने बाधाएँ

भारत के पक्ष में मजबूत पहलू

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यह विश्व की 17 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरणीय क्षेत्र से लेकर पीस कीपिंग अभियानों तक भारत की उल्लेखनीय भूमिका रही है। भारत की सदस्यता के लिये फ्राँस सहित कई देशों का समर्थन भी प्राप्त है।

 

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