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Arvind Kejriwal Arrest: यूं ही गिरफ्तार नहीं हुए केजरीवाल, मिल चुके है 338 करोड़ के घोटाले के सबूत, जानें क्या है दिल्ली शराब घोटाला

Arvind Kejriwal Arrest: यूं ही गिरफ्तार नहीं हुए केजरीवाल, मिल चुके है 338 करोड़ के घोटाले के सबूत, जानें क्या है दिल्ली शराब घोटाला

ईडी ने सीएम केजरीवाल को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Arvind Kejriwal Arrest: दिल्ली शराब घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने दो घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। शराब घोटाला मामले में दायर चार्जशीट में ED ने अरविंद केजरीवाल को साजिशकर्ता के रूप में नामित किया था। केजरीवाल के अलावा ईडी ने इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, आप नेता संजय सिंह और बीआरएस नेता के कविता भी आरोपी बनाया है। इन तीनों को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

इन तमाम घटनाक्रमों के बीच सवाल उठते हैं कि आखिर दिल्ली शराब घोटाला है क्या? नई शराब नीति क्या थी? इसमें किस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप हैं? आप नेताओं पर क्या आरोप हैं जिसकी वजह से उनकी गिरफ्तारी हुई है? आइये जानते हैं सभी सवालों के जवाब…

पहले तो जानिए दिल्ली की नई शराब नीति क्या थी?

22 मार्च 2021 को दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई।

नई शराब नीति

नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब उपराज्यपाल ने इसकी जाँच सीबीआई को सौंपी तो केजरीवाल सरकार ने 28 जुलाई 2022 को नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अभी भी जेल में है।

दिल्ली की शराब नीति में ये विसंगतियां मिली

मनीष सिसोदिया पर ये हैं आरोप

दरअसल, सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी विभाग के मंत्री के तौर पर शराब नीति को लेकर मनमाने और गलत फैसले लिए। शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए नई शराब नीति बनाई। इसके बदले रिश्वत भी ली। सिसोदिया ने शराब नीति बनाते वक्त सरकारी खजाने की चिंता नहीं की, जिससे सरकार को नुकसान पहुंचा। सिसोदिया ने सुबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले। इनमें 5 सिम कार्ड ने सिसोदिया के नाम पर ही लिए गए थे। बाकी सिम दूसरों के नाम पर जारी करवाए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना 338 करोड़ का है दिल्ली शराब घोटाला

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यह घोटाला कुल 338 करोड़ का है। पिछले साल मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा था कि मनी ट्रेल साब‍ित हुआ है और यह मनी ट्रेल 338 करोड़ रुपये का है।

Supreme Court of India

आखिर क्यों केजरीवाल हुए गिरफ्तार

Delhi chief minister Arvind Kejriwal (File Photo)

सबूत देख हाई कोर्ट ने भी केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर रोक लगाने से कर दिया था इनकार

गिरफ़्तारी से ठीक पहले केजरीवाल अपनी गिरफ्तारी पर रोक के आदेश के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुँच गए थे। उन्होंने हाई कोर्ट से मांग की थी कि उनके खिलाफ ईडी गिरफ्तारी जैसा कदम न उठाए, इस बात की लिखित गारंटी भी दी जाए। लेकिन हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ सबूत देख केजरीवाल की गिरफ्तारी पर रोक वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया था और उन्हें कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को पहले ही अग्रिम जमानत ले लेनी चाहिए थी। इसका मतलब था कि हाई कोर्ट ने भी माना था कि ईडी के पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं।

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