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गुरु ग्रंथ साहिब को रोड जाम करने के लिए ढाल नहीं बना सकते प्रदर्शनकारी, हाई कोर्ट की सख्त टिपण्णी

Protestors don't get immunity merely by placing Guru Granth Sahib at protest site: Punjab and Haryana High Court

Punjab and Haryana High Court (File Photo)

चंडीगढ़, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर अहम टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल बना कर महीनों तक सड़क नहीं जाम कर सकते। पंजाब सरकार को उनके खिलाफ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी।

आखिर हाई कोर्ट को क्यों करनी पड़ी यह टिपण्णी?

दरअसल, मामला बंदी सिखों की रिहाई से जुड़ा है। पंजाब में कौमी इंसाफ मोर्चा का बंदी सिखों की रिहाई के लिए पिछले एक साल से चंडीगढ़ और मोहाली सीमा पर धरना प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनस्थल पर कौमी इंसाफ मोर्चा ने सिख धर्म की पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब को भी अपने पास रखा है। इस कारण पंजाब सरकार इन प्रदर्शनकारियों पर कार्यवाही करने से बच रही है। प्रदर्शन के कारण पिछले एक साल से रोड ब्लॉक होने के कारण आमजन को असुविधा हो रही है। इसी के चलते हाई कोर्ट को यह टिपण्णी करनी पड़ी।

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस लापिता बैनर्जी की बेंच ने कहा कि कई मौकों के बाद भी पंजाब सरकार और चंडीगढ़ प्रशासन ने रोजाना इस सड़क पर चलने वाले लोगों को कोई राहत नहीं पहुँचाई। आमजन लगातार सीमा पर बंदी सिखों को छोड़ने की माँग करने वाले प्रदर्शनकारियों के रास्ता जाम करने के कारण परेशानियाँ झेलते रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रदर्शनकारी यहाँ अपने साथ गुरु ग्रंथ साहिब लेकर बैठते हैं, यह कोई कारण नहीं हो सकता कि इन लोगों के खिलाफ पंजाब सरकार कार्रवाई ना करे।

बेंच ने कहा कि “केवल इस बात के आधार पर कि कुछ प्रदर्शनकारी गुरु ग्रंथ साहिब को रखकर धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं और इसे ढाल बना रहे हैं, इससे पंजाब को यह बहाना नहीं मिल जाता कि वह इन धर्म की आड़ लेने वालों पर कार्रवाई ना करे।”

हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि साल भर से प्रदर्शनकारी गुरुग्रंथ साहिब को ढाल बनाए हुए हैं। डीजीपी को बुलाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह फसल कटाई का समय है, यह जानते हुए भी प्रदर्शनकारियों की कम संख्या होने के बावजूद उन्हें हटाने की कार्रवाई में दोनों कदम पीछे खींच रहे हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि 18 अप्रैल तक प्रदर्शन नहीं हटा तो हमारे बेहद सख्त आदेश के लिए सरकार तैयार रहे।

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