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Ram Mandir Ayodhya: पाकिस्तान ने UN में किया अयोध्या के राम मंदिर का जिक्र, तो भारत ने लगाई फटकार

Ram Mandir Ayodhya: पाकिस्तान ने UN में किया अयोध्या के राम मंदिर का जिक्र, तो भारत ने लगाई फटकार

India slams Pakistan in UNGA for negative mention of Ram mandir in Ayodhya

संयुक्त राष्ट्र, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Ram Mandir Ayodhya: भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को जमकर फटकार लगाई है। हुआ ये कि पाकिस्तान की ओर से संयुक्त राष्ट्र में ‘इस्लामोफोबिया’ पर प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव पर भारत समेत कई देशों ने दूरी बना ली। मगर पाकिस्तान ने जब अयोध्या के राम मंदिर और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का जिक्र किया तो भारत आग बबूला हो गया। इसके बाद भारत ने ऐसा जवाब दिया कि पाकिस्तान की पूरी दुनिया के सामने बोलती बंद हो गई।

आखिर संयुक्त राष्ट्र में ऐसा क्या हुआ था?

दरअसल, पाकिस्तान शुक्रवार 15 मार्च को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में चीन की मदद से ‘इस्लामोफोबिया’ पर एक प्रस्ताव लाया था। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा था कि दुनिया भर के मुस्लिमों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए साहसिक और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है।

UN General Assembly

इस दौरान उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह और हाल ही में लागू हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को इस्लामोफोबिया से जोड़कर उल्लेख किया था। साथ ही भारत की स्थिति पर नजर रखने के लिए विशेष दूत की नियुक्ति की मांग की थी।

भारत ने जमकर लगाई क्लास

पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम का बयान सुन संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज आग बबूला हो गयीं और पाकिस्तान की जमकर क्लास लगाई है और इस्लामोफोबिया को लेकर पाठ भी पढ़ाया है। उन्होंने मुनीर अकरम को उसके देश में हो रहे अल्पसंख्यकों पर जुर्म को याद दिलाया। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों से व्यवहार का पाकिस्तान का बहुत बुरा रिकार्ड है, इसीलिए अल्पसंख्यक समुदाय के लोग पाकिस्तान छोड़कर अन्य देशों में जा रहे हैं।

Ruchira Kamboj

रुचिरा कंबोज ने कहा कि इस्लामोफोबिया का मुद्दा निस्संदेह महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि अन्य धर्म के लोग भी भेदभाव और हिंसा का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भावनाएँ बढ़ रही हैं। बामियान में बुद्ध प्रतिमा को तोड़ा जाना, गुरुद्वारों, मठों और मंदिरों जैसे धार्मिक स्थानों पर बढ़ते हमले इस बात की पुष्टि करते हैं। बता दें कि मार्च 2001 में तालिबान ने अफगानिस्तान के बामियान में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमाओं को नष्ट कर दिया था, जिसकी दुनिया भर में निंदा हुई थी।

ऐसे तो धर्म आधिरित खेमों में बंट जायेगा संयुक्त राष्ट्र

भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी मिसाल कायम नहीं होनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप अलग-अलग धर्मों से अलग-अलग प्रस्ताव आएँ। इससे संयुक्त राष्ट्र को धर्म आधारित गुटों में विभाजित करने का प्रयास किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र अपना ऐसा रुख बनाए रखे, जो दुनिया को एक वैश्विक परिवार के रूप में गले लगाते हुए शांति और सद्भाव के तहत एकजुट करती हो।

रुचिरा कंबोज ने कहा कि अन्य धर्मों की चुनौतियों की उपेक्षा करते हुए सिर्फ इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए संसाधनों का आवंटन करना, अनाजने में बहिष्कार और असमानता की भावना कायम कर सकता है। अब समय आ गया है कि हम धार्मिक भय की व्यापकता को स्वीकार करें, न कि केवल एक को उजागर करें।

भारत में होता है सभी धर्म के लोगों के साथ समान व्यवहार

उन्होंने कहा कि भारत में सभी धर्म के लोगों के साथ समान व्यवहार होता है और उन्हें अपने तरीके से रहने व उपासना का अधिकार है। सभी धर्मों के लोगों के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में कार्य करने के समान अवसर हैं। अगर कहीं पर कोई उत्पीड़न की शिकायत करता है तो उसके साथ न्याय के लिए मजबूत कानूनी प्रावधान हैं जिसके तहत कड़ा दंड दिया जाता है।

पाकिस्तान पर तीखा वार करते हुए उन्होंने कहा कि जहां पूरी दुनिया प्रगति कर रही है, वहीं पाकिस्तान एक मुद्दे पर ही फंस गया है। मेरे देश से संबंधित मामलों पर इस प्रतिनिधिमंडल के सीमित और गुमराह दृष्टिकोण को देखना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है। शायद इस प्रतिनिधिमंडल के पास ज्ञान नहीं है।

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भारत के साथ खड़े दिखे कई देश

भारत के इस कथन के साथ ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील और इटली, यूक्रेन जैसे देश भी साथ खड़े दिखे। वहीँ प्रस्ताव द्वारा लाये गए प्रस्ताव के पक्ष में 115 देशों ने मतदान किया, जबकि इसका विरोध किसी ने नहीं किया। मतदान के दौरान भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और यूके सहित 44 देश अनुपस्थित रहे।

Islamophobia

आपको बता दें, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2022 में एक प्रस्ताव अपनाया था, जिसमें 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया था। यह प्रस्ताव न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में स्थित दो मस्जिदों में साल 2019 में हुई गोलीबारी के मद्देनजर पेश किया गया था। इस हमले में 50 से अधिक लोग मारे गए थे।

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