नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Samudrayaan: चाँद के बाद अब भारत समुद्र की गहराइयों को जानने के लिए एक मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। इस मिशन का नाम समुद्रयान मिशन है। इस मिशन के तहत जो यान भेज जायेगा उसका नाम मत्स्य-6000 है। अब इस मिशन को लेकर बड़ी जानकारी निकलकर सामने आयी है। पृथ्वी विज्ञान मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने दावा किया है कि भारत अगले साल के अंत तक महासागर की गहराइयों के राज जानने के लिए इस मिशन को रवाना कर सकता है।
इस साल के अंत होगा Samudrayaan का परीक्षण
रिजिजू ने कहा, “महासागर की गहराई में उतरने वाली भारत की समर्सिबल मत्स्य-6000, जो कि हमारे लोगों को समुद्र में 6000 मीटर नीचे ले जाने वाली है, वह अपने शेड्यूल पर है। समुद्रयान का इस साल के अंत तक ही परीक्षण हो सकता है।”
मत्स्य का काम सही दिशा में
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘‘यह समुद्रयान समंदर की उन गहराइयों में जायेगा जहाँ जाना लगभग नामुमकिन है। यहाँ सूरज का प्रकाश भी नहीं जाता। जहां तक मनुष्यों को समुद्र की गहराई में ले जाने वाली हमारी मत्स्य पनडुब्बी का सवाल है, तो उसका काम सही दिशा में आगे बढ़ रहा है।
रिजिजू ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हम 2025 के अंत तक यानी अगले साल तक अपने मानव दल को 6,000 मीटर से अधिक गहरे समुद्र में भेजने में सक्षम होंगे।’’
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क्या है Samudrayaan मिशन
दरअसल, समुद्रयान मिशन 2021 में शुरू किया गया था। इस मिशन के तहत मत्स्य-6000 पनडुब्बी के जरिए इसमें सवार एक दल मध्य हिंद महासागर में 6,000 मीटर की गहराई तक उतरेगा। चालक दल के तीन सदस्यों को समुद्र के नीचे अध्ययन के लिए भेजा जाएगा। यह पनडुब्बी वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों से लैस होगी और इसकी परिचालन क्षमता 12 घंटे होगी, जिसे आपात स्थिति में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है।
Deep Sea
अब तक केवल पांच देशों के ही पास ऐसी क्षमता
अब तक, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने गहरे समुद्र में मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भारत ऐसे मिशन के लिए विशेषज्ञता एवं क्षमता का प्रदर्शन करके इन देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार है।
क्या काम करेगा यह मिशन
मिशन में जाने वाला वाहन मानव युक्त सबमर्सिबल मत्स्य-6000 निकल, कोबाल्ट, दुर्लभ मृदा तत्व, मैंगनीज से समृद्ध खनिज संसाधनों की खोज में गहरे समुद्र में सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही मिशन कई तरह के नमूनों का संग्रह करेगा, जिनका उपयोग बाद में विश्लेषण के लिए किया जा सकता है। इस मिशन से वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा इस मिशन से संपत्ति निरीक्षण, पर्यटन और समुद्री साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा।