जयपुर, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही अब नागरिकता संशोधन कानून देशभर में लागू हो गया है। लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे अपने अपने राज्यों में लागू करने से इनकार कर दिया है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कोई राज्य इस कानून को लागू करने से इनकार कर सकता है।
क्या कहता है संविधान
कानून के जानकारों के मुताबिक संविधान के अनुसार भारत के राज्य सीएए को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि नागरिकता संघ सूची के तहत आती है ना कि राज्य सूची के। संविधान के आर्टिकल 246 में संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच विधायी शक्तियों को वर्गीकृत किया गया है। राज्यों के पास कोई विकल्प नहीं है, उन्हें संसद की ओर से पारित कानून को लागू करना होगा। जहां तक राज्यों की शिकायतों का सवाल है, वे हमेशा सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि उनके नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा है तो वे कोर्ट जा सकते हैं।
संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत लागू किया गया CAA
आपको बता दें, सीएए को संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत लागू किया गया है। ऐसे 97 विषय हैं, जिन्हें संघ सूची की 7वीं अनुसूची के अधीन हैं, जिनमें रक्षा, विदेश मामले, रेलवे और नागरिकता आदि शामिल हैं। अगर राज्य सीएए को अपने यहां लागू नहीं करते तो ये एक तरह से नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन होगा। अगर जरूरत पड़ी तो किसी विशेष राज्य के नागरिक अपने मौलिक अधिकारों को लागू करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
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CAA के खिलाफ 220 याचिकाएं लंबित
गौरतलब है कि CAA लागू करने के विरोध में कई संगठनों ने कोर्ट में याचिका डाल रखी हैं। CAA के खिलाफ ऐसी कुल 220 याचिकाएँ लंबित हैं। जिन लोगों एवं संगठनों ने CAA के खिलाफ याचिका दायर की हैं, उनमें केरल की मुस्लिम लीग, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश एवं देबब्रत सैकिया, AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी, एनजीओ रिहाई मंच आदि शामिल हैं। CAA को चुनौती देने वाली केरल सरकार की भी एक याचिका लंबित है।