नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Kanhaiya Lal Murder: मॉब लिंचिंग का शिकार हुए मुसलमानों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड (Kanhaiya Lal Murder) का जिक्र करते हुए मुस्लिम वकील से कहा कि आप इस मामले में सलेक्टिव नहीं हो सकते।
दरअसल याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि मॉब लिंचिंग के शिकार हुए मुसलमानों के पीड़ितों की आर्थिक मदद की जाए और गोरक्षकों पर कार्रवाई की जाए। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस BR गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता ने कन्हैया लाल हत्याकांड का जिक्र करते हुए याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि वो ऐसे मामलों को लेकर वो सेलेक्टिव न बनें। मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद होगी।
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता संगठन के वकील निजाम पाशा ने मध्य प्रदेश और हरियाणा में मॉब लिंचिंग की घटनाओं का जिक्र किया। इस पर अदालत ने पूछा कि राजस्थान के उस दर्जी…कन्हैया लाल…के बारे में क्या, जिसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी?”
तब वकील पाशा ने बेंच को बताया कि वर्तमान याचिका में उसका जिक्र नहीं है। इस पर कोर्ट पाशा को फटकार लगाते हुए कहा, ‘आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि अगर इसमें सभी राज्य शामिल हैं तो यह बिल्कुल भी चुनिंदा न हो।’
इस मामले पर वरिष्ठ वकील अर्चना पाठक ने कहा कि यह याचिका केवल मुस्लिमों की लिंचिंग के बारे में है। आखिर कोई इतना सिलेक्टिव कैसे हो सकता है? एक राष्ट्र को सभी धर्मों के लोगों की रक्षा करनी चाहिए। जिस पर वकील पाशा ने कहा कि केवल मुस्लिमों की लिंचिंग हो रही हैं। जिसपर कोर्ट ने कहा कि आपको ये पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि याचिका सेलेक्टिव न हो। इसके साथ ही वकील पाशा को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि आपको इस बात पर गंभीर रहना चाहिए कि आप कोर्ट के सामने क्या पेश कर रहे हैं।
आपको बता दें, पिछले साल जुलाई में अदालत ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की महिला शाखा द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र और छह राज्यों – महाराष्ट्र, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश – से जवाब मांगा था। जनहित याचिका में दावा किया गया था कि 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इन राज्यों द्वारा कार्रवाई की कमी हुई है, जिसमें गोरक्षकों द्वारा हत्या सहित घृणा अपराधों पर सख्त रुख अपनाने का निर्देश दिया गया था।
आज यानि मंगलवार की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अब तक केवल हरियाणा और मध्य प्रदेश ने ही कार्रवाई के संबंध में जवाब दाखिल किया है.। इसके बाद अदालत ने अन्य राज्यों को अपने बयान दर्ज करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया।
क्या था कन्हैया लाल हत्याकांड
उदयपुर के दर्जी कन्हैया ने साल 2022 में भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। जिसके बाद कन्हैया कुमार की बड़ी बेरहमी से उनके ही दुकान में गला काटकर हत्या कर दी गई थी। हत्यारों ने हत्या का वीडियो इंटरनेट पर पोस्ट किया था।
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