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Waqf Board claims 53 ASI sites in KarnatakaThe Gol Gumbaz. Credit: DH Photo

Waqf Board: कांग्रेस द्वारा शुरू की गई वक्फ बोर्ड (Waqf Board) नामक बीमारी ने विकराल रूप धारण कर लिया है. वह अपनी असीमित शक्तियों का बेजा इस्तेमाल करते हुए लगातार संपत्तियों पर अपना दावा ठोंकता जा रहा है और कोई उसका कुछ नहीं कर पा रहा है. हालात तो ये हैं कि वह विश्व विरासत घोषित किये जा चुके स्मारकों को भी अपना बताने से परहेज नहीं कर रहा है. सूचना के अधिकार के तहत पता चला है कि वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने कर्नाटक के 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर भी अपना दावा ठोक दिया है.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें RTI के जरिए पता चला है कि कर्नाटक के 53 ऐतिहासिक स्मारकों पर वक्फ बोर्ड (Waqf Board) अपना दावा कर रहा है. इन स्मारकों में कर्नाटक के प्रसिद्ध कलबुर्गी का किला, गोल गुम्बज, विजयपुरा का बड़ा कमान, बीदर का किला, इब्राहिम रौजा आदि हैं. खास बात ये है कि उक्त सभी स्मारकों को भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के द्वारा संरक्षित किया गया है.

आरटीआई से मिली जानकारी में केंद्र सरकार की ओर से बताया गया है कि वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने एएसआई से चर्चा किए बिना ही इन संपत्तियों पर अपना दावा ठोंक दिया है. पता चला है कि पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित इन स्मारकों को 2005 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग (चिकित्सा शिक्षा) के चीफ सेक्रेटरी और 2005 में विजयपुरा के डीसीपी व वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहे मोहम्मद मोहसिन ने ही इन 43 साइटों को वक्फ की प्रॉपर्टी घोषित कर दिया था.

क्या है नियम

आपको बता दें, साल 1958 के प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल (AMASR) अधिनियम के तहत ASI द्वारा संरक्षित संपत्ति को किसी अन्य को नहीं सौंपा जा सकता है. ASI के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्यवाही ASI की सहमति के बिना हुई है, जो कि नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है.

साल 2007 से चल रहे अवैध कब्जे

ASI के अधिकारी का कहना है कि विजयपुरा में 43 स्मारकों को बदलने और उनके साथ छेड़छाड़ करने के लिए उन पर प्लास्टर और सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है. इनमें पंखे, एसी, ट्यूबलाइट और टॉयलेट जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा रही हैं. कुछ संपत्तियों पर दुकानें भी बनाई जा चुकी हैं. मुल्ला मस्जिद और याकूब दाबुली की मस्जिद और मकबरे के परिसर को मदरसे में बदल दिया गया है.

ASI ने लंबे समय से राज्य सरकार और केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को इन कब्जों को हटाने के लिए निर्देश भेजे हैं. लेकिन 2007 से अब तक, केंद्र सरकार के निर्देशों के बावजूद कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी, विजयपुरा के डिप्टी कमिश्नर और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है. इसीलिए स्मारकों पर अवैध कब्जे बने हुए हैं.

किसानों की जमीनों पर भी Waqf Board कर चुका है दावा

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के संरक्षण में वक्फ बोर्ड (Waqf Board) की मनमानी कुछ अधिक ही बढ़ी हुई है. हाल ही उसने विजयपुरा जिले में किसानों की 1500 एकड़ जमीन पर अपना दावा ठोंक दिया था. इसके अलावा वक्फ बोर्ड ने हावेरी जिले में भी एक गांव पर अपना दावा कर दिया था. इसके बाद भड़के लोगों ने मुस्लिम नेताओं पर हमला कर दिया था.

इसके अलावा साल 2013 में वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने मध्य प्रदेश के बुरहान पुर किले पर ही अपना दावा ठोक दिया था. वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि शाह शुजा का मकबरा, नादिर शाह का मकबरा, बीबी साहब की मस्जिद और बुरहानपुर किले में स्थित महल वक्फ की संपत्ति है. वक्फ बोर्ड ने इन पर अपना स्वामित्व जताते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से इन स्थलों को खाली करने के लिए कहा.

इस पर ASI ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की. इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ASI के पक्ष फैसला सुनाते हुए वक्फ बार्ड को लताड़ लगाई थी और कहा था कि कल को तुम लाल किले और ताजमहल को भी अपनी संपत्ति घोषित कर दोगे. फिर पूरे हिंदुस्तान को अपनी संपत्ति बता दोगे.

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