अयोध्या, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Surya Tilak of RamLalla: देशभर में चैत्र रामनवमी का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस पुनीत अवसर पर 500 वर्षों के बाद अयोध्या के राम मंदिर में दोपहर 12 बजे अभिजीत मुहूर्त में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ किया गया। लगभग 4 मिनट तक सूरज की किरणों ने प्रभु राम के मस्तक का अभिषेक किया। यह अलौकिक नजारा भक्ति से भावविभोर कर देने वाला था। जैसे ही प्रभु श्री राम का सूर्य तिलक हुआ, पूरा मंदिर परिसर श्रीराम के नारे के उद्घोष से गूंज उठा। सूर्य तिलक होने के बाद भगवान श्री राम की विशेष पूजा की गईं और आरती उतारी गई।
The 'Surya Tilak' ceremony bathes Ram Lalla in celestial light, marking a historic Ram Navami in Ayodhya#SuryaTilak#AyodhyaRamMandir #RamNavami pic.twitter.com/PUep9Xwc2J
— Ujjwal India News (@UjjwalIndiaNews) April 17, 2024
विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत का संगम
ऑप्टिक्स और मेकेनिक्स के माध्यम से भारत के वैज्ञानिकों ने ये कमाल किया है। इस सूर्य तिलक के लिए वैज्ञानिकों ने कई महीने से तैयारी की थी। इसके लिए कई ट्रायल किए गए। दोपहर में जैसे ही घड़ी में 12 बजकर 01 मिनट हुए सूर्य की किरणें सीधा प्रभु राम के मस्तक पर पहुंच गईं। लगभग 4 मिनट तक यह प्रक्रिया चली।
1.20 करोड़ की लागत से तैयार हुआ पूरा सिस्टम
सीएसआईआर केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रुड़की की टीम ने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बैंगलोर के परामर्श से इस पूरे सिस्टम का निर्माण किया है। इसी सिस्टम के जरिये मंदिर की तीसरी मंजिल से सूर्य की किरणों ने गर्भगृह में पहुंचकर रामलला का मस्तकाभिषेक किया। 65 फुट लम्बे इस पूरे सिस्टम में अष्टधातु के 20 पाइप का इस्तेमाल किया गया है। इसमें चार लेंस और चार मिरर (शीशे) लगे हैं। रामलला के माथे पर सूरज की गर्म किरणों को पड़ने से रोकने के लिए इन्फ्रारेड फिल्टर ग्लास का भी इस्तेमाल किया गया है। इस पूरे सिस्टम का नाम ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम है।
इन चार लेंस और चार मिरर (शीशे) को खास ऐंगल्स पर सेट किया गया ताकि रामलला के ललाट तक सूरज की किरणें पहुँचे। इस पूरे सिस्टम को सूर्य पंचांग के हिसाब से सेट किया गया है, ताकि हर साल रामनवमी पर सटीक तरीके से ‘सूर्य तिलक’ का कार्यक्रम संपन्न हो सके। इसके लिए वैज्ञानिकों ने बीते 20 वर्षों में अयोध्या के आकाश में सूर्य की गति अध्ययन किया है।
ऐसे हुआ प्रभु राम का “सूर्य तिलक”
सबसे पहले सूर्य की किरण मंदिर की तीसरी मंजिल पर लगे शीशे पर पड़ी। यहां से किरण परावर्तित होकर पीतल के पाइप में गई। पीतल के पाइप में लगे दूसरे शीशे से टकराकर 90 डिग्री पर दोबारा परावर्तित हो गई। इसके बाद फिर पीतल के पाइप से जाते हुए सूरज की किरणें तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरी और फिर लंबे पाइप के गर्भ गृह वाले सिरे पर लगे शीशे से टकराई। गर्भगृह में लगे शीशे से टकराने के बाद रोशनी ने सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाया।
रामलला का हुआ अद्भुत श्रृंगार
सूर्य तिलक के बाद रामलला का अद्भुत श्रृंगार किया गया। रामलला को पीले रंग के कपड़े पहनाए गए। इसके अलावा सोने चांदी के सुंदर आभूषण पहनाएं गए हैं। रामनवमी के मौके पर श्रीराम को विशेष मुकुट, कुंडल, बाजू बंद, कमरबंद, गले का हाल पैजनिया पहनाई गई है। रामलला का ये भव्य रूप देखते ही बन रहा है।
सूर्य तिलक का महत्व
सूर्य की पहली किरण से मंदिर का अभिषेक होना बहुत शुभ माना जाता है । सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसे में जब देवता अपनी पहली किरण से भगवान का अभिषेक करते हैं मूर्ती में देवत्व का भाव जाग जाता है। इस परिकल्पना को सूर्य किरण अभिषेक कहा जाता है। ये कोई नई चीज नहीं है, बल्कि प्राचीन काल में ही कई मंदिरों में इस तरह का आर्किटेक्चर होता था कि सूर्य की किरणें देवता का अभिषेक करती थीं।
उल्लेखनीय है कि श्री राम जन्म से सूर्यवंशी थे और उनके कुल देवता सूर्यदेव हैं। मान्यता है चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12:00 बजे श्रीराम का जन्म हुआ था। वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि रामजन्म के समय सूर्य और शुक्र अपनी उच्च राशि में थे। चंद्रमा खुद की राशि में मौजूद थे। इस साल भी ऐसा ही हो रहा है। आज दोपहर 12 बजे केदार, गजकेसरी, पारिजात, अमला, शुभ, वाशि, सरल, काहल और रवियोग बने।
पीएम मोदी भी बने साक्षी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस अद्भुत घटना के साक्षी बने। पीएम मोदी ने हेलिकॉप्टर में बैठकर जूते उतारकर पूरी श्रद्धा के साथ ‘सूर्य तिलक’ के वीडियो को टैब पर देखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान हृदय पर हाथ रखकर और शीश झुकाकर भगवान राम को नमन भी किया।
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