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मॉस्को, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की जमकर तारीफ की है। रूस के सोच्ची शहर में आयोजित विश्व युवा मंच को संबोधित करने के दौरान सर्गेई लावरोव ने एस जयशंकर के पिछले बयान को याद किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह से एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की बोलती बंद कर दी थी। अपने सम्बोधन के दौरान सर्गेई लावरोव ने एस जयशंकर के लिए “दोस्त” शब्द का इस्तेमाल किया।

 

क्या बोले रूसी विदेश मंत्री

दरअसल, विश्व युवा मंच कार्यक्रम में रूसी विदेश मंत्री से रूस से भारत की तेल खरीद के बारे में पूछा गया था। तब एस जयशंकर के शब्दों को याद करते हुए, रूसी विदेश मंत्री ने कहा, “भारत हमेशा मास्को का मित्र रहा है। जयशंकर ने उस समय यूरोपीय लोगों को दूसरों को व्याख्यान देने से पहले खुद को देखने की सलाह दी थी। सर्गेई ने कहा कि मेरे मित्र, विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर, एक बार संयुक्त राष्ट्र में भाषण दे रहे थे। तब उनसे पूछा गया कि उन्होंने रूस से इतना अधिक तेल क्यों खरीदना शुरू कर दिया…? इस सवाल के जवाब में जयशंकर ने उन्हें ‘अपने काम से काम रखने’ की सलाह दी और साथ ही उन्हें याद दिलाया कि कितना तेल पश्चिम ने रूसी संघ से खरीदा था… और अब भी जारी रखा है। यह राष्ट्रीय गरिमा है।

चर्चा सत्र के दौरान, सर्गेई लावरोव ने भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक साझेदारी पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से शीत युद्ध के दौरान नई दिल्ली के लिए मास्को के समर्थन का जिक्र किया। उस समय पश्चिमी देशों ने भारत के एडवांस हथियार रोक दिए थे।

 

कई मौकों पर पश्चिमी देशों को घेर चुके हैं जयशंकर

यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध छिड़ने के बाद, पश्चिम के अधिकांश देशों ने मास्को पर प्रतिबंध लगा दिए और कच्चा रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया। हालांकि, भारत ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। डॉ. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नई दिल्ली की स्थिति को स्पष्ट करते हुए इस बात पर जोर दिया कि भारतीय नागरिक ऊर्जा की ऊंची कीमतें वहन नहीं कर सकते हैं… नरेंद्र मोदी सरकार सिर्फ अपने नागरिकों के लिए बेहतर सौदा हासिल करने का प्रयास कर रही है।

विदेश मंत्री ने यूरोप के “दोहरे मानकों” पर भी कटाक्ष किया और कहा कि उसे इस मानसिकता से बाहर निकलने की जरूरत है कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।

हाल ही में डॉ। जयशंकर से म्यूनिख में एक सुरक्षा सम्मेलन में भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के बारे में पूछा गया था। उनसे पूछा गया था कि क्या यह अन्य प्रमुख सहयोगियों के साथ उसके समीकरणों में एक समस्या बन जाता है? अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक उनके साथ थे। यहां डॉ। जयशंकर ने जवाब दिया, “यह एक समस्या क्यों होनी चाहिए…? मैं इतना स्‍मार्ट हूं कि मेरे पास कई विकल्प हैं। इसके लिए आपको मेरी प्रशंसा करनी चाहिए न कि आलोचना। क्या यह कोई समस्या है, मैं ऐसा नहीं सोचता।”

विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति “बहुत स्पष्ट और बहुत सार्वजनिक” है। उन्होंने कहा, “हमारे प्रधानमंत्री द्वारा व्यक्त की गई भारतीय स्थिति यह है कि यह युद्ध का युग नहीं है और बातचीत और कूटनीति ही इसका उत्तर है।” मोदी सरकार के रुख को मॉस्को से पहले भी सराहना मिल चुकी है। जनवरी में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि मॉस्को “भारत और उसके नेतृत्व पर भरोसा कर सकता है, क्योंकि यह आश्वासन दिया गया है कि नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनके खिलाफ ‘खेल’ नहीं खेलेगी।”

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