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रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने-बसने का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट से बोली मोदी सरकारअवैध रोहिंग्याओं को भारत में बसने का अधिकार नहीं

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। केंद्र की मोदी सरकार भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों पर अपने पहले के रुख पर कायम है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश में घुसे अवैध रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में रहने और बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। सरकार का कहना है कि भारत में रह रहे रोहिंग्याओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। केंद्र सरकार ने कोर्ट से ये भी कहा कि रोहिंग्याओं की वजह से सुरक्षा प्रभावित हो सकती है. ऐसे में उन्हें देश में रहने का हक नहीं है।

शरणार्थी का दर्जा देना सरकार और संसद का नीतिगत मामला

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी का दर्जा देना सरकार और संसद का नीतिगत मामला है। ऐसे में न्यायपालिका न्यायपालिका अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के लिए संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत डोमेन में प्रवेश नहीं कर सकती है।

विदेशी व्यक्ति को केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए अपने हलफनामे में कहा कि एक विदेशी व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। उसे देश में निवास करने और बसने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध है।

रोहिंग्या भारत की सुरक्षा के लिए खतरा

केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत पहले से ही पड़ोसी देश (बांग्लादेश) से आ रहे घुसपैठियों से जूझ रहा है। इन घुसपैठियों ने कुछ सीमावर्ती राज्यों (असम और पश्चिम बंगाल) की जनसांख्यिकीय स्थिति को बदल कर रख दिया है। रोहिंग्या मुसलमानों के देश के विभिन्न हिस्सों में नकली/मनगढ़ंत भारतीय पहचान दस्तावेज प्राप्त करने, मानव तस्करी, विध्वंसक गतिविधियों में शामिल होने के पुख्ता सबूत हैं। यह आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

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केंद्र सरकार ने किस याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बाते कही?

दरअसल, भारत में अवैध रूप से रह रहे बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को पकड़ा गया है। इनकी रिहाई के लिए प्रियाली सूर ने एक याचिका सु्प्रीम कोर्ट में दाखिल की है। इसमें उनके मौलिक अधिकार के हनन की बात कही गई है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा कि देश में अवैध रूप से घुसने वालों से विदेशी अधिनियम के प्रावधानों के तहत निपटा जाएगा।

भारत शरणार्थी कन्वेंशन 1951 प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं

केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि भारत शरणार्थी कन्वेंशन 1951 और शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। ऐसे में रोहिंग्या मुस्लिमों से अपने घरेलू कानून के अनुसार निपटेगा। रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ तिब्बत और श्रीलंका के शरणार्थियों की तरह समान व्यवहार करने की याचिकाकर्ता की दलील की केंद्र सरकार ने आलोचना की है।

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