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Haryana: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा ने हरियाणा में मुख्यमंत्री बदल दिया है। मंगलवार को मनोहर लाल खट्टर ने अपने पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद नायब सिंह सैनी को राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा की गई।Nayab Singh Saini with PM Modi (File Photo)

चंडीगढ़, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Haryana: हरियाणा की सियासत में मंगलवार का दिन उथल-पुथल भरा रहा। सूबे में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन टूटने के बाद मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने मंगलवार (12 मार्च 2024) को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपा, जिसे तुरंत स्वीकार कर लिया गया है। इसके बाद भाजपा के विधायक दल की बैठक बुलाई गयी जिसमें नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। अब वे राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे।

शपथ ग्रहण करते हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी

सूत्रों के मुताबिक, मनोहर लाल खट्टर ने ही विधायक दल की बैठक में नायब सिंह सैनी का नाम सुझाया था। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी वर्तमान में हरियाणा के कुरुक्षेत्र से सांसद हैं। उन्हें पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सैनी साल 1996 में भाजपा के संगठन से जुड़े थे।

हरियाणा विधानसभा का गणित

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इन 90 सीटों में से 41 बीजेपी के पास हैं। वहीं 30 सीटें कांग्रेस, 10 सीटें इंडियन नेशनल लोकदल, एक सीट हरियाणा लोकहित पार्टी के पास है। इसके अलावा 7 निर्दलीय विधायक हैं। विधानसभा में बहुमत के लिए 46 का आँकड़ा चाहिए। वर्तमान में 6 निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा को समर्थन दिया है। ऐसे में भाजपा को बहुमत हासिल हो जाएगा। भाजपा को कोई खतरा नहीं है।

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गठबंधन तोड़ने के पीछे की रणनीति

दरअसल, भाजपा और जेजेपी ने गठबंधन तोड़ने का निर्णय बहुत ही चालाकी से लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों दलों का वोट बैंक अलग है। जेजेपी का वोट बैंक हरियाणा के जाट हैं। वहीँ भाजपा जाट समाज में इतनी लोकप्रिय नहीं है। किसान आंदोलन ने भी जाट समाज में भाजपा की नकारात्मक छवि बनाई है। चूंकि हरियाणा में लगभग 22 फीसदी आबादी जाटों की है, ऐसे में कांग्रेस जाट समाज के भरोसे ही सरकार बनाने की उम्मीद लगाए बैठी थी।

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ दुष्यंत चौटाला

लेकिन चुनाव से ठीक पहले गठबंधन टूटने से जेजेपी अब सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और ज्यादा संभावना है कि जाट वोट में सीधे सेंध लगाएगी, जिसका खामियाजा कांग्रेस को झेलना पड़ेगा। जेजेपी और कांग्रेस के बीच जाट वोट के विभाजन से भाजपा की राह आसान हो जाएगी। चुनाव बाद जेजेपी भाजपा के साथ दुबारा गठबंधन कर सकेगी। आपको बता दें, २०१९ का विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग ही लड़ा था।

भाजपा को मुख्यमंत्री बदलने से यह फायदा

गुजरात की तर्ज पर हरियाणा में हुई बड़ी “सियासी सर्जरी’ से भारतीय जनता पार्टी ने एक साथ कई निशाने साध लिए हैं। ओबीसी से आने वाले नायब सिंह सैनी को सीएम फेस बना कर पिछड़ों को साधने की कोशिश की है। वहीँ मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ पैदा हुई एंटी इंकम्बेंसी को भी दूर करने की कोशिश की है। इस कारण हरियाणा में सियासी समीकरण एकदम से बदल गए हैं।

भाजपा की यह रणनीति है कि कांग्रेस, इनेलो और जजपा अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो जाटों के वोट तीन जगहों पर बंट जाएंगे। दूसरी तरफ गैर जाट वोटर, जिन्हें भाजपा अपने पक्ष में मानकर चल रही है, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उसका फायदा लेने का प्रयास करेगी।

कांग्रेस बोली – सोची समझी रणनीति का हिस्सा

गठबंधन टूटने पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कैबिनेट के इस्तीफा देने का पूरा नाटक तैयार किया गया है। वह कहते हैं कि उन्होंने तीन महीने पहले ही बता दिया था कि भाजपा-जजपा में समझौता तोड़ने की अघोषित सहमति बन गई है। इस बार भाजपा के इशारे पर जजपा और इनेलो कांग्रेस की वोट में सेंध मारने के लिए फिर से जनता के बीच जाएंगे।

दीपेंद्र सिंह हुड्डा (File Photo)

गुजरात और उत्तराखंड में भी बदल दिए गए थे सीएम

आपको बता दें, गुजरात में साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से 15 महीने पहले बीजेपी नेतृत्व ने अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को बतौर सीएम बदल दिया था। 11 सितंबर, 2021 को विजय रूपाणी ने राज्यपाल से मुलाकात करते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। रूपाणी के बाद भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया गया और फिर 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिली।

गुजरात के अलावा, उत्तराखंड में भी बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री को चुनाव से पहले बदल दिया था। जुलाई, 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। वे महज चार महीने ही पद पर रह पाए थे। अगले साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पार्टी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए दोबारा सरकार बनाई थी।

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