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Voyager 1 is sending data back to Earth for the first time in 5 monthsNASA Voyager 1 Space Craft (Credit: NASA/JPL)

वाशिंगटन, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। NASA Voyager 1 Mission: नासा के वैज्ञानिकों ने कमाल करते हुए अंतरिक्ष यान वॉयजर 1 (Voyager 1) से दुबारा संपर्क स्थापित करने में सफलता हासिल कर ली है। आपको बता दें, पिछले साल नासा (NASA) की एक चूक के कारण वॉयजर ने स्पष्ट संदेश भेजना बंद कर दिया था। हालाँकि अब वॉयजर का भेजा संदेश मिलने से नासा (NASA) की चिंता खत्म हो गई है।

धरती से सबसे दूसरे दूर जा चुके मानव निर्मित अंतरिक्ष यान ने 5 महीने बाद पहली बार धरती पर संदेश भेजा है, जिसे पढ़ा जा सका है। वर्तमान में यह यान धरती से 25 अरब किलोमीटर दूर है और लगातार आगे बढ़ रहा है।

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आपको ये जानकर हैरानी होगी कि Voyager 1 इंसान का बनाया गया अब तक का सबसे दूर गया यान है जो ब्रह्मांड में 25 अरब किलोमीटर दूर कहीं विचर रहा है। इसने हमारे सौरमंडल को भी पार कर लिया है। ऐसे में आइये जानते हैं नासा के वॉयजर 1 मिशन के बारे में-

क्या है Voyager 1 मिशन

आपको बता दें, नासा ने Voyager 1 मिशन को 1977 में लॉन्च किया था। 2012 में उसने इंटरस्टेलर मीडियम यानी सौरमंडल से बाहर सितारों की श्रृंखला में प्रवेश किया था। ऐसा करने वाला वॉयजर पहला अंतरिक्ष यान था। अब वह धरती से लगभग 25 अरब किलोमीटर दूर पहुंच चुका है। धरती से भेजे जाने वाले संदेश उस तक पहुंचने में लगभग 22.5 घंटे लगते हैं।

एलियंस के लिए सन्देश लेकर गया है Voyager 1

बता दें, नासा द्वारा 2018 में वॉयजर-2 नाम का उसका जुड़वां यान भी प्रक्षेपित किया गया था। ये दोनों यान अंतरिक्ष में संभावित परग्रही जीवों यानि एलियंस के लिए पृथ्वी से इंसान का संदेश लेकर गए हैं। इन संदेशों को ‘गोल्डन रिकॉर्ड’ कहा जाता है। ये 12 इंच की सोने का पानी चढ़ीं तांबी की डिस्क हैं जिनमें इंसान की कहानी को एलियंस के लिए रिकॉर्ड किया गया है।

क्या है संदेश?

गोल्डन डिस्क में रिकॉर्ड की हुई इंसान की कहानी और हमारे सौरमंडल का नक्शा है। इसके अलावा अंतरिक्ष यान में यूरेनियम का एक टुकड़ा भी है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यूरेनियम की आयु से एलियंस पता लगा सकेंगे कि यान को कब छोड़ा गया था। साथ ही रिकॉर्ड को प्ले करने के लिए दिशानिर्देश भी हैं।

The Golden Record cover shown with its extraterrestrial instructions. Credit: NASA/JPL

एलियंस के लिए क्या भेजा जाए, इसका फैसला नासा की एक विशेष कमेटी ने किया था। उस कमेटी के अध्यक्ष प्रतिष्ठित खगोलविद कार्ल सेगन थे। जो संदेश भेजे गए हैं, उनके साथ धरती पर जीवन की तस्वीरें, संगत, आवाजें आदि शामिल हैं।

2025 तक ही चलेगी Voyager 1 की बैटरी

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वॉयजर 1 की बैट्री 2025 के बाद कभी भी खत्म हो सकती है। उसके बाद भी वे आकाश गंगा मिल्की वे में विचरते रहेंगे लेकिन कहां, यह हम कभी नहीं जान पाएंगे। हां, अगर किसी परग्रही ने उन्हें खोज लिया तो हो सकता है वॉयजर इंसान के लिए भविष्य का संदेशवाहक बन जाए।

Photos of Jupiter Taken by Voyager 1 (Credit: NASA/JPL)

पिछले साल नवंबर में गड़बड़ आना शुरू हुई थी

46 साल पुराने स्पेसक्राफ्ट में हाल के वर्षों में कई अजीब व्यवहार देखा गया है जो इसकी उम्र बढ़ने का संकेत माना जा रहा है। वॉयजर 1 के व्यवहार में पहली बार नवम्बर 2023 में अजीब परिवर्तन पाया गया, जब अंतरिक्षयान ने बार-बार एक ही संदेश भेजना धरती पर शुरू कर दिया था। नवंबर के बाद से उसने धरती पर कोई पढ़ा जा सकने लायक डेटा नहीं भेजा था। हालांकि वह पृथ्वी से भेजी गईं कमांड रिसीव कर रहा था।

इस तरह किया ठीक

मार्च में नासा की जेट प्रोपल्सन लैबोरेट्री में काम कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया कि वॉयजर की इस चुप्पी के लिए एक चिप में आई गड़बड़ी जिम्मेदार थी। इन विशेषज्ञों ने नासा के 46 साल पुराने कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद इस चिप को चतुराई भरे एक नए कोड से ठीक किया।

सोमवार को एजेंसी ने कहा, “Voyager 1 यान अपने इंजीनियरिंग सिस्टम्स की स्थिति के बारे में पढ़े जा सकने लायक संदेश भेजने की ओर लौट रहा है। अगला कदम यान से वैज्ञानिक डेटा भेजने लायक बनाना होगा।”

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