जयपुर, उज्जवल इण्डिया राजनीतिक सवांददाता। Lok sabha Elections 2024: राजस्थान में भाजपा भले ही सभी 25 सीट जीतनें का दावा कर रही है, लेकिन राह इतनी आसान भी नहीं है। राजस्थान की कुछ लोकसभा सीटों पर स्थानीय समीकरणों ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि ये सीटें भाजपा के क्लीन स्वीप का गेम बिगड़ सकती है। इन सीटों में बाड़मेर-जैसलमेर, नागौर और चूरू लोकसभा सीट का नाम है। ऐसे में आइये जानते हैं इन सीटों पर क्या समीकरण हैं –
बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर उडी भाजपा की नींद
बाड़मेर-जैसलमेर सीट इस बार के दंगल में सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। कारण है शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी का मैदान में उतरना। रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय ताल ठोकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के समीकरणों को बिगाड़ रखा है। रविंद्र सिंह भाटी की सभाओं में उमड़ती भीड़ ने भाजपा आलाकमान के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है। यही कारण है कि शुक्रवार 12 अप्रैल 2024 को पीएम मोदी को स्वयं यहाँ आकर जनसभा करनी पड़ी।
खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तीन दिनों तक डैमेज कंट्रोल करने के लिए बाड़मेर प्रवास पर रहे। जहां उन्होंने विभिन्न समाजों के लोगों से बातचीत कर समीकरणों को सुलझाने का प्रयास किया। माना जा रहा है कि रविंद्र सिंह भाटी भाजपा प्रत्याशी कैलाश चौधरी और कांग्रेस के प्रत्याशी उम्मेदाराम बेनीवाल की जीत में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं। फलोदी सट्टा बाजार में भी रविंद्र सिंह भाटी की जीत का दावा किया जा रहा है।
नागौर लोकसभा सीट ने भी बढ़ाया पारा
राजस्थान की बहुचर्चित नागौर लोकसभा सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। यहाँ से भाजपा ने ज्योति मिर्धा को टिकट दिया है जो हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। जबकि कांग्रेस ने यहां से आरएलपी के साथ गठबंधन किया। इसके चलते आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल खुद चुनावी मैदान में है।
बता दें, जाट बाहुल्य इस सीट पर ज्योति मिर्धा, बेनीवाल से दो बार शिकस्त खा चुकी हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ी। तब उनकी बेनीवाल से हार हुई। इसके बाद फिर से विधानसभा चुनाव में खींवसर से बेनीवाल ने उन्हें हराया। फलोदी सट्टा बाजार में भी हनुमान बेनीवाल की जीत का दावा किया जा रहा है।
चूरू लोकसभा सीट कांटे की टक्कर
चूरू लोकसभा सीट को लेकर भी भाजपा की चिंता बढ़ी हुई है। यहाँ से भाजपा ने राहुल कस्वां का टिकट काटकर पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट रहे देवेंद्र सिंह झाझड़िया को टिकट दिया। इसके बाद नाराज कस्वां ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। जिसके चलते कांग्रेस ने उन्हें चूरू से टिकट दे दिया। चूरू लोकसभा सीट पर भी बीजेपी के सामने राहुल कस्वां बड़ी चुनौती बने हुए हैं। ऐसे में यहां से भी बीजेपी की जीत इतनी आसान नहीं होगी।
चूरू में चलता है कस्वां परिवार का सिक्का
उल्लेखनीय है कि जिस तरह से झुंझुनूं में ओला, नागौर में मिर्धा और जोधपुर में मदेरणा परिवार का सिक्का चलता है, उसी तरह चूरू जिले की राजनीति में कस्वां परिवार दमखम रखता है। राहुल कस्वां वर्तमान में चूरू लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता। साल 2014 में वह सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। राहुल कस्वा के पिता रामसिंह कस्वां भी चार बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं। यही नहीं, उनके दादा दीपचंद कस्वां भी लोकसभा सांसद रहे हैं। राहुल कस्वां की मां कमला कस्वां भी सादुलपुर से विधायक रह चुकी हैं। राहुल कस्वां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दामाद भी हैं।
भाजपा ने क्यों काटा टिकट
सियासी जानकारों का कहना है कि राजेंद्र राठौड़ के दखल की वजह से राहुल कस्वां का टिकट कटा है। राजेंद्र राठौड़ 7 बार विधायक रह चुके हैं. वह कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी रहे। लेकिन इस बार के चुनाव में उन्होंने सीट बदलकर चूरू के तारानगर से चुनाव लड़ा और हार गए। राठौड़ की हार के बाद उनके समर्थक तो खुल्लमखुल्ला राहुल कस्वां को हार का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यही नहीं, वे राहुल कस्वां को जयचंद भी कह रहे हैं। खुद राजेंद्र राठौड़ ने कहा था कि कुछ जयचंद है जिनके भीतरघात के कारण वे चुनाव हार गए।
फलोदी सट्टा बाजार का ये है अनुमान
चुनावी मौसम में राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार की भी खूब धूम रहती है। हवा के रुख के साथ सट्टा बाजार के आंकड़े रोज बदलते रहते है। राजस्थान के लोकसभा चुनाव में फलोदी सट्टा बाजार में प्रदेश की 25 सीटों में से बीजेपी को 23 सीटें मिलने का अनुमान है। सट्टा बाजार इस चुनाव में बाड़मेर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए रविन्द्र सिंह भाटी के जीतने की संभावना जता रहा है वहीं नागौर के RLP प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल की सीट फंसी हुई बता रहा है। दिलचस्प बात ये है कि, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत सहित कांग्रेस के कई दिग्गजों के चुनाव हार हारने की चर्चा चल रही है।
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