जयपुर, उज्जवल इंण्डिया न्यूज़ डेस्क। Lok Sabha Election 2024 result : पिछले दो लोकसभा चुनाव में मरुधरा में हर जगह कमल खिलाने वाली भाजपा को इस बार बड़ा झटका लगा है। सभी 25 सीटों पर जीत का दावा करने वाली भाजपा 14 सीटों पर सिमट कर रह गयी। वहीँ इंडी गठबंधन को 11 सीटों पर जीत नसीब हुई है।
आपको बता दें, साल 2019 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद भाजपा गठबंधन ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मरुधरा की सभी 25 सीटें जीती थी। इस बार राज्य में सरकार होने के बावजूद पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार के मुकाबले काफी खराब रहा। इन परिणामों ने मुख्यमंत्री भजनलाल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
वोट शेयर में भी गिरावट
भारतीय जनता पार्टी की सीटों में ही गिरावट नहीं हुई बल्कि इस बार भाजपा का वोट शेयर भी गिरा है। साल 2019 के फाइनल नतीजों की बात करें तो उस चुनाव में भाजपा ने तकरीबन 59.07 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था, जबकि इस बार भाजपा को तकरीबन 49.24 प्रतिशत ही वोट शेयर मिला। उधर कांग्रेस की बात करें तो इस बार तकरीबन 37.91 प्रतिशत वोट शेयर कांग्रेस के खाते में गया, जबकि 2019 के नतीजों में यह महज 34.59 था।
मोदी सरकार के मंत्री तक हारे
शायद ऐसे प्रदर्शन की उम्मीद भाजपा के केंद्रीय और राजस्थान के स्थानीय नेतृत्व को भी नहीं थी। राजस्थान की बाड़मेर सीट पर मोदी सरकार के मंत्री कैलाश चौधरी तीसरे स्थान पर पहुंच गए। यहाँ से कांग्रेस के उम्मेदा राम बेनीवाल जीत दर्ज की। उम्मेदाराम को निर्दलीय उम्मीदवार रविंद्र सिंह भाटी से कड़ी टक्कर मिली। कैलाश चौधरी का इस तरह पिछड़ जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
राजस्थान में भाजपा ख़राब प्रदर्शन के कारण
- भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाना : राजस्थान में भाजपा के खराब प्रदर्शन की मुख्य वजह मुख्यमंत्री भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाना है। दरअसल, भाजपा आलाकमान ने प्रदेश संगठन में अंदरूनी राजनीति के चलते कद्दावर नेता वसुंधरा राजे का पत्ता काटकर भजनलाल को मुख्यमंत्री बनाने का दांव खेला था। माना जा रहा था कि पूर्वी राजस्थान में इससे मदद मिलेगी, हालांकि ऐसा नहीं हुआ। भजनलाल अपने घरेलू जनपद की लोकसभा सीट भरतपुर को भी नहीं बचा पाए। वहीँ पूर्वी राजस्थान की अधिकतर सीट भाजपा ने गँवा दी। आपको बता दें भजनलाल को सीएम बनाने के चलते पार्टी में अंदरूनी नाराजगी भी देखी गई थी। हालांकि, तब यह खुल कर सामने नहीं आई थी। अब आशंका है कि भजन लाल को पार्टी के उनके विरोधी निशाने पर लें और भाजपा नेतृत्व पर उन पर गाज गिराने का दबाव बनाएं।
- वसुंधरा को दरकिनार करना पड़ गया भारी : पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान वसुंधरा राजे उस तरह एक्टिव नहीं दिखीं, जिस तरह वह विधानसभा चुनावों में थीं। चुनाव प्रचार में उनको दरकिनार किया गया जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।
- टिकट वितरण में गड़बड़ी : चुरू लोकसभा सीट पर मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटना भी भाजपा के लिए गलत फैसला साबित हुआ। टिकट कटने के बाद बागी हुए कस्वां कांग्रेस में शामिल हो गए और चुनाव जीतने में भी कामयाब रहे। राहुल ने पार्टी छोड़ने से पहले एक बड़ी रैली की थी और उसमें उमड़ी लाखों की भीड़ ने पूरे राजस्थान का ध्यान अपनी ओर खींचा था। वक्त रहते भाजपा राहुल को मना नहीं पाई और उनका पाला बदलना भाजपा के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। राहुल कस्वां ने भाजपा उम्मीदवार देवेंद्र झाझाड़िया को बड़े अंतर से पीछे छोड़ दिया। वहीँ झुंझुनू सीट पर शुभकरण चौधरी को दुबारा टिकट देना भाजपा को भारी पड़ गया।
- राजस्थान भाजपा में खेमेबाजी : राजस्थान में खेमेबाजी भाजपा के लिए एक बड़ी समस्या रही है। संगठन अलग अलग गुटों में बंटा हुआ है। सभी गुट एक दूसरे को नीचे दिखाने में लगे रहते हैं। इससे भी भाजपा को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। संगठन चापलूसों की फौज से भर गया है।
- कम मतदान : भाजपा अबकी बार 400 पार के नारे में खुद ही उलझ गई। उसके वोट इसलिए नहीं बढ़े क्योंकि भाजपा को पसंद करने वाले वोटरों ने तेज गर्मी के बीच संभवत: खुद ही यह मान लिया कि इस बार भाजपा की जीत आसान रहने वाली है। इसलिए हिन्दू वोटरों का एक बड़ा तबका वोट देने के लिए निकला ही नहीं।
कांग्रेस को मिल गई संजीवनी
पिछले साल राजस्थान की सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव के नतीजों ने नई संजीवनी दी है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में उत्साह बढ़ सकता है। हालांकि, अभी विधानसभा चुनाव में 4 साल से अधिक का समय बचा है।
भजनलाल शर्मा पर उठेंगे सवाल
राजस्थान में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद भजनलाल शर्मा पर सवाल उठने लाजिमी है। पार्टी में उनका विरोधी खेमा मजबूत हो सकता है। राजस्थान में खेमेबाजी भाजपा के लिए एक बड़ी समस्या रही है और एक बार फिर इसमें तेजी आ सकती है।
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