Haryana election exit poll 2024: हरियाणा के विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल (haryana election exit poll 2024) सामने आ चुके हैं। एग्जिट पोल में जो परिणाम सामने आये हैं वो हैरान करने वाले नहीं हैं। चुनाव प्रचार के दौरान वोटरों की जो राय देखने को मिली थी, अब एग्जिट पोल में भी कुछ वैसे ही नतीजे देखने को मिल रहे हैं। तमाम एग्जिट पोल्स में हरियाणा में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिखाई दे रहा है और बीजेपी 10 साल बाद सत्ता से बाहर होती दिख रही है।
अगर इन एग्जिट पोल्स के नतीजों पर यकीन करें, तो एक बात बिल्कुल साफ दिख रही है कि जाटों ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है। दूसरी बात बीजेपी गैर-जाट और ओबीसी वोटरों को अपने साथ बांधे रखने में कामयाब नहीं हो पाई है। राजनीतिक जानकारों का कहना है, एग्जिट पोल में मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ हाई ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ पर मुहर लग गई है। भाजपा ने चुनाव प्रचार में खर्ची-पर्ची व भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा किया था, लेकिन इन कामों की चमक भी ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ के आगे फीकी पड़ गई।
क्या कहते हैं तमाम एग्जिट पोल्स (haryana election exit poll 2024)
– रिपब्लिक पी-मार्क के सर्वे के अनुसार, हरियाणा में भाजपा सत्ता से बाहर होती नजर आ रही है। भाजपा को 90 सीटों में से 27-37, कांग्रेस को 51 से 61 तो अन्य के खाते में तीन से छह सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है।
– रिपब्लिक मैट्रिज के मुताबिक, भाजपा को 18 से 24, कांग्रेस को 55-62 तो अन्य के खाते में दो से पांच सीट आती दिख रही हैं।
– पीपुल्स पल्स का एग्जिट पोल बताता है कि भाजपा को 20-32 सीटें तो कांग्रेस को 49-61 सीटें आती हुई दिख रही हैं। जजपा गठबंधन को एक, इनेलो को दो से तीन तो अन्य के खाते में तीन से पांच सीट मिलती नजर आ रही हैं।
– सी वोटर एक्सिट पोल में हरियाणा में इस बार भाजपा को करारा झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है। एजेंसी ने भाजपा को 27, कांग्रेस को 57 और अन्य को छह सीट मिलने का अनुमान जताया है। सी वोटर के एग्जिट पोल ने कांग्रेस के पक्ष में 43.8 प्रतिशत वोट बताए हैं। भाजपा को 37 प्रतिशत वोट मिले हैं। गत चुनाव के मुकाबले इस बार भाजपा के पक्ष में लगभग एक फीसदी वोटों की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सीटों के मामले पार्टी पिछड़ गई है। सी वोटर ने कांग्रेस के पक्ष में 50 से 58 सीटें बताई हैं। भाजपा को 20-28 सीटें मिलती दिख रही हैं।
– ध्रुव रिसर्च ने कांग्रेस को 50 से 64, भाजपा को 22 से 32, अन्य को दो से आठ और आप को शून्य सीट दी हैं।
– एक्सिस माई इंडिया के मुताबिक यहां भाजपा तीसरी बार सत्ता के करीब नहीं पहुंच पाएगी। भाजपा हरियाणा में 18-28 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं, कांग्रेस यहां पर सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है। कांग्रेस को यहां 53 से 65 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। वहीं, आईएनएलडी-बीएसपी को 1-5, जेजेपी और आप को जीरो व, अन्य को 3-8 सीटें मिलने की बात कही गई है।
भाजपा की हार के कारण
- क्षेत्रीय दलों का असर कम होना : हरियाणा में एग्जिट पोल (haryana election exit poll 2024) दिखा रहे हैं कि क्षेत्रीय दलों का असर कम हो गया है। यह भाजपा की हार की प्रमुख वजह है। ऐसा इसलिए क्योंकि क्षेत्रीय दल हरियाणा के जाट वोट बैंक में सेंध लगाते हैं। जाटों को कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता है। इसमें सेंधबाजी का मतलब कांग्रेस की हार। लेकिन इस बार देवीलाल और उनके वशंजों की पार्टी का बुरा हाल हुआ है। इनेलो और जेजेपी के लिए यह सोचने का वक्त है। जाट वोट में सेंध लगाने वाले वाले देवीलाल के लाल उनकी चौधर नहीं बचा पा रहे हैं।
- गैरजाट और ओबीसी बीजेपी के हाथ से फिसले : साल 2014 और 2019 में भाजपा को गैर जाटों के भारी संख्या में मत मिले थे। लेकिन एग्जिट पोल्स की मानें तो इस बार गैर जाट और ओबीसी को बीजेपी साध नहीं पाई है। पिछले दो चुनावों में यही उसकी ताकत थे, जिसने उसको कुर्सी तक पहुंचाया था। लेकिन एग्जिट पोल के रुझान ये बता रहे हैं कि बीजेपी के साथ न ओबीसी आया और न ही जाट। रुझान इस ओर भी इशारा कर रहे हैं कि दलित वोट भी बीजेपी के खाते से छिटक गया है।
- खट्टर के खिलाफ ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ : भाजपा की हार तीसरा बड़ा कारण मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ साढ़े नौ वर्ष की ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ है। ऐसा नहीं है कि खट्टर सरकार ने कुछ काम नहीं किया था। भाजपा ने दावा किया था कि प्रदेश में भूपेंद्र हुड्डा सरकार के दौरान नौकरी के लिए शुरु हुआ खर्ची व पर्ची का दौर, खट्टर सरकार में खत्म किया गया। भ्रष्टचार पर नकेल कसी गई। लेकिन इसके चलते कार्यकर्ताओं के भी काम होने बंद हो गए। यहां तक कि विधायकों और मंत्रियों का यह दर्द सामने आया था कि खट्टर सरकार में उनके काम नहीं हो रहे। उनके कहने से किसी कर्मचारी का तबादला तक नहीं होता था।
- किसान और पहलवान का मुद्दे बीजेपी को भारी पड़ गए : एग्जिट पोल (haryana election exit poll 2024) जिस तरह से हरियाणा में कांग्रेस की आंधी बता रहे हैं उससे यह साफ है कि किसान और पहलवानों का मुद्दा बीजेपी को भारी पड़ा है। किसान लगातार हरियाणा में एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। वहीं, कुछ पहलवान भी इस बार केंद्र सरकार से नाराज थे। कांग्रेस ने इस मुद्दे को भी खूब भुनाया।
भाजपा को हो चुका था ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ का अहसास
आपको बता दें, लोकसभा चुनाव में भाजपा को खट्टर सरकार की ‘एंटी-इनकम्बेंसी’ का अहसास हो चुका था। हालाँकि खट्टर को बदलकर नायब सैनी को सीएम की कुर्सी पर बैठाना भी भाजपा के काम नहीं आ सका। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को प्रदेश के 25 फीसदी जाट समुदाय के एकतरफा वोट मिले थे। इस कारण भाजपा 10 से 5 सीटों पर सिमट गयी थी।
विधानसभा चुनाव में भाजपा पुराने ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के फार्मूले पर लौट आई। भाजपा ने अपना फोकस गैर जाट और ओबीसी वोटर्स पर रखा। ब्राह्मण समुदाय से आने वाले मोहनलाल बड़ौली को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई। हालाँकि एग्जिट पोल में ये समीकरण काम आते हुए नहीं दिख रहे।
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