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दिल्ली जल बोर्ड घोटाले में ईडी ने दाखिल की चार्जशीट, केजरीवाल को मिल चुका है समन

CM Arvind Kejriwal in another trouble, Ed has filed 8000 pages charge sheet in Delhi Jal Board scam case – Ujjwal India Latest News

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Delhi Jal Board scam: दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक और मुसीबत में फंसते नजर आ रहे यहीं। इस बार यह मामला दिल्ली जल बोर्ड घोटाला से जुड़ा है। इस मामले में ईडी ने 8000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने ये चार्जशीट राउज ऐवन्यू कोर्ट में दाखिल की। यह मामला फ्लो मीटर खरीद की निविदा में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है। इस मामले ईडी सीएम केजरीवाल को पहले ही समन जारी कर चुकी है।

पहली चार्जशीट में ईडी ने चार व्यक्तियों और एक कंपनी को आरोपी के रूप में नामित किया है। इसमें डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल और सीए तेजिंदर सिंह का नाम शामिल हैं। जिस कंपनी को आरोपी बनाया गया है उसका नाम एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर है।

ईडी ने कोर्ट को बताया कि एनकेजी कंपनी के निदेशक की मौत हो गई है। इसलिए उसे आरोपी नहीं बनाया गया है. अभी मामले में आगे जांच की जा रही है। अब इस मामले में 1 अप्रैल, 2024 को जारी बहस होगी।

क्या है दिल्ली जल बोर्ड घोटाला

दरअसल, दिल्ली जल बोर्ड ने पानी के इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ्लो मीटर खरीदने के लिए निविदा जारी की थी। इस ठेके में इलेक्ट्रोमेग्नेटिक फ्लो मीटर्स की आपूर्ति, स्थापना और परीक्षण सब कुछ शामिल था। ईडी का आरोप है कि दिल्ली जल बोर्ड ने एनकेजी कंपनी को ठेका बढ़ी हुई दरों पर दिया, ताकि ठेकेदारों से रिश्वत वसूली जा सके। ठेके का मूल्य 38 करोड़ रुपये था लेकिन सिर्फ 14 करोड़ का ही काम करवाया गया। बाकी राशि गबन कर ली गई। गबन की हुई राशि का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी के चुनावी कोष में जमा करवाया गया था।

कंपनी नहीं थी ठेका लेने की पात्र

ईडी का आरोप है कि डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट दिया था, जो टेक्निकिल रूप से उसके पात्र नहीं थे। ईडी का दावा है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी दस्तावेज सबमिट करके कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया था।

एनकेजी कंपनी को एनबीसीसी अधिकारी दिनेश मित्तल द्वारा जारी सर्टिफिकेट के आधार पर टेंडर मिला था, एनकेजी ने मित्तल की यात्रा के लिए हवाई जहाज के टिकट बुक भी की थीं। बिना साइन की हुए एक नोटशीट तैयार की थी जो डीजीपी और अन्य लोगों पास भी थी।

ईडी ने मामले से जुड़ी मनी ट्रेल की जांच करते हुए आरोप लगाया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के बाद अरोड़ा को नकद और बैंक खाते में रिश्वत प्राप्त हुई थी। अरोड़ा ने इस काले धन का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी के चुनावी फंड में जमा करवाया।

एनकेजी ने यह काम किसी और से करवाया

एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर के पास इस काम को करने की क्षमता ही नहीं थी। ऐसे में कंपनी ने इंटीग्रल स्क्रूज नाम की दूसरी कंपनी से काम करवाया। इंटीग्रल स्क्रूज का मालिक अनिल कुमार अग्रवाल है। इस पूरे खेल में 14 करोड़ के काम के लिए 38 करोड़ का टेंडर जारी किया गया। यानी 24 करोड़ रुपये आपस में बाँट लिए गए।

चूंकि गबन की राशि का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी के चुनावी कोष में जमा हुआ था ऐसे में ईडी ने सीएम अरविंद केजरीवाल को भी पूछताछ के लिए बुलाया था।

आपको बता दें, फरवरी में, एजेंसी ने जांच के तहत CM अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार, आप के राज्यसभा सांसद और कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता, पूर्व डीजेबी सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों पर छापेमारी की थी।

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