Thu. Mar 13th, 2025
दिल्ली शराब घोटाला : केजरीवाल पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार! सबूत देख हाईकोर्ट ने ख़ारिज की याचिकाSetback for Arvind Kejriwal, court denies protection from arrest for now

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। दिल्ली शराब घोटाला मामले में ईडी की पूछताछ से बचने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल से पूछा कि आप समन पर पेश क्यों नहीं हो रहे हैं? इसके जवाब में अरविंद केजरीवाल की पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं, मगर प्रोटेक्शन चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को राहत दिए बिना सुनवाई एक महीने के लिए टाल दी है। बता दें, ईडी ने सीएम केजरीवाल को नौवें समन के तहत 21 मार्च को उसके समक्ष पेश होने के लिए कहा है।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने सीएम केजरीवाल से पूछा कि ईडी ने उन्हें 9 समन जारी किए हैं, लेकिन वे पेश क्यों नहीं हुए। इस पर सीएम केजरीवाल की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमें अभी तक 10 समन जारी हुए। सभी पर हमने जवाब दाखिल किया। हमने कहा है कि हम वर्चुअली किसी भी समय ईडी के सामने पेश हो कर जवाब देने के तैयार हैं। अरविंद केजरीवाल ED के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का भरोसा दिया जाए। सिंघवी ने आरोप लगाया कि ED उन्हें पूछताछ के बहाने गिरफ्तार करना चाहती है।

इस पर पीठ ने अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सामान्य प्रथा क्या है और क्या यह पहले समन के दौरान ही लोगों को गिरफ्तार कर लेती है। इस पर सीएम केजरीवाल के वकील सिंघवी ने कहा कि यह नई शैली है और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और सांसद संजय सिंह को भी एजेंसी ने इसी तरह गिरफ्तार किया था। इस पर खंडपीठ ने ईडी से जवाब माँगा।

ईडी ने किया याचिका का विरोध

इस याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने कहा कि याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है। हालाँकि दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, इस मुद्दे पर ईडी को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह में जवाब मांगा है। 22 अप्रैल को अब अगली सुनवाई होगी।

केजरीवाल ने कहा – सारे समन गैरकानूनी

याचिका में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भेजे गए सारे समन गैरकानूनी हैं और निचली अदालत की ओर से उनके खिलाफ नोटिस जारी किए जाने के बावजूद ईडी व सीबीआई उन्हें बार-बार समन जारी कर रही है। उन्होंने दावा किया है कि यह समन सिर्फ राजनीतिक मकसद से जारी किए गए हैं।

क्या है दिल्ली शराब घोटाला

22 मार्च 2021 को दिल्ली के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति का ऐलान किया था। 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति यानी एक्साइज पॉलिसी 2021-22 लागू कर दी गई। नई शराब नीति आने के बाद सरकार शराब के कारोबार से बाहर आ गई और शराब की पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई।

नई नीति शुरू से ही विवादों में रही। जब उपराज्यपाल ने इसकी जाँच सीबीआई को सौंपी तो केजरीवाल सरकार ने 28 जुलाई 2022 को नई शराब नीति रद्द कर फिर पुरानी पॉलिसी लागू कर दी। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एंगल आने पर प्रवर्तन निदेशालय की एंट्री हो गई। उसके बाद से AAP के कई सीनियर नेता और उनके करीबी सहयोगी जांच एजेंसी के निशाने पर आ गए। दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अभी भी जेल में है।

यह भी पढ़ें : Electoral Bonds: सबसे ज्यादा चंदा देने वाला निकला “Lottery King”, जानें विपक्षी दलों से कनेक्शन

दिल्ली की शराब नीति में ये विसंगतियां मिली

  • इस शराब नीति से पहले 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40% प्राइवेट होती थीं। लेकिन निजी शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए सभी दुकानें प्राइवेट कर दी गईं।
  • दिल्ली सरकार ने शराब बेचने के लिए मिलने वाले लाइसेंस की फीस कई गुना बढ़ा दी। इससे छोटे ठेकेदार लाइसेंस नहीं ले सके। इसका सीधा फायदा बड़े शराब व्यपारियों को मिला। दिल्ली के शराब कारोबार पर उनका कब्ज़ा हो गया था। लाइसेंस पहले ठेकेदारों को 25 लाख रुपए में मिल जाता था। हालाँकि नई शराब नीति लागू होने के बाद इसके लिए ठेकेदारों को 5 करोड़ रुपए देने पड़े।
  • शराब विक्रेताओं को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ड्राई डे की संख्या घटा दी गई। यह संख्या पहले 21 थी, वहीं नई शराब नीति के तहत दिल्ली में ड्राई डे महज 3 दिन ही था।
    शराब ठेकेदारों को पहले 6 प्रतिशत कमीशन मिलता था। वहीं नई शराब नीति के तहत इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इससे शराब ठेकेदारों को फायदा हुआ। वहीं सरकारी खजाने को नुकसान झेलना पड़ा।
  • केजरीवाल सरकार ने शराब निर्माता कंपनी को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति दी। वहीं, नियम यह है कि शराब निर्माता और रिटेल विक्रेता अलग-अलग होगा।
  • विदेशी शराब और बियर पर मनमाने ढंग से 50 रुपए प्रति केस की छूट दी गई। यह छूट कंपनियों को फायदा देने के लिए दी गई थी।
  • कोरोना काल में शराब कंपनियों को हुए नुकसान की भरपाई करने के नाम पर केजरीवाल सरकार ने बड़े शराब कारोबारियों की 144.36 करोड़ रुपए की लाइसेंस फीस माफ कर दी थी।

मनीष सिसोदिया पर ये हैं आरोप

दरअसल, सिसोदिया पर आरोप है कि उन्होंने आबकारी विभाग के मंत्री के तौर पर शराब नीति को लेकर मनमाने और गलत फैसले लिए। शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए नई शराब नीति बनाई। इसके बदले रिश्वत भी ली। सिसोदिया ने सराब नीति बनाते वक्त सरकारी खजाने की चिंता नहीं की, जिससे सरकार को नुकसान पहुंचा। सिसोदिया ने सुबूत छिपाने के लिए 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले। इनमें 5 सिम कार्ड ने सिसोदिया के नाम पर ही लिए गए थे। बाकी सिम दूसरों के नाम पर जारी करवाए गए थे।

manish sisodia arrest (File Photo)

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना 338 करोड़ का है दिल्ली शराब घोटाला

आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि यह घोटाला कुल 338 करोड़ का है। पिछले साल मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा था कि मनी ट्रेल साब‍ित हुआ है और यह मनी ट्रेल 338 करोड़ रुपये का है।

आखिर क्यों केजरीवाल के पीछे पड़ी ईडी

दरअसल, अरविंद केजरीवाल पर जो आरोप हैं, उन्हें आधार बनाकर ईडी दिल्ली सीएम से पूछताछ करना चाहती है। केजरीवाल से ईडी इन बिंदुओं पर पूछताछ करेगी-

Enforcement Directorate (File Photo)
  1. ईडी किं जांच में सामने आया है कि प्रोसीड ऑफ क्राइम के दौरान 338 करोड़ रुपये आम आदमी पार्टी तक पहुंचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह बात मानी है। ऐसे में पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल हैं, इसलिए उनसे पूछताछ करना जरूरी है।
  2. आबकारी घोटाले के आरोपी इंडोस्पिरिट के डायरेक्टर समीर महेंद्रू ने पूछताछ में ईडी को बताया कि अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी विजय नायर ने उसकी मुलाकात ‘फेस टाइम’ ऐप के जरिये अरविंद केजरीवाल से करवाई थी। इसमें अरविंद केजरीवाल ने उससे बोला था कि विजय नायर उसका आदमी है और उसे नायर पर भरोसा रखना चाहिए।
  3. मनीष सिसोदिया के तत्कालीन सचिव सी अरविंद ने पूछताछ के दौरान बताया कि आबकारी नीति में 6% का मार्जिन प्रॉफिट था, जिसे अरविंद केजरीवाल की मंजूरी से ही 12% किया गया था। यानी आबकारी नीति बनाने में अरविंद केजरीवाल की भी भूमिका थी।
  4. नई आबकारी नीति को लेकर मीटिंग अरविंद केजरीवाल के घर पर भी हुई थी। इसके अलावा नई आबकारी नीति को लेकर जो कैबिनेट बैठक हुई थी वह कैबिनेट बैठक मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *