बीजिंग, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। अमेरिका, भारत, ताइवान और साउथ चाइना सी के देशों के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन सेना पर पानी की तरह पैसा बहा रहा है। चीन ने रक्षा बजट (China’s Defense Budget) में भारी भरकम बढ़ोत्तरी की है। चीन ने साल 2024 के लिए अपने रक्षा बजट को 7.2 फीसदी बढ़ा दिया है। यह अब 230 अरब डॉलर पहुंच गया है जो भारत के करीब 75 अरब डॉलर के रक्षा बजट से तीन गुना ज्यादा है। चीन ने रक्षा बजट ऐसे समय पर बढ़ाया है जब उसकी अर्थव्यवस्था तबाही के दौर में गुजर रही है और दुनियाभर के विश्लेषक बीजिंग को लेकर चेतावनी दे रहे हैं।
अमेरिका से अभी भी बहुत पीछे है चीन
चीन के बढ़ते दबदबे से अमेरिका भी चिंतित है। हालांकि अभी भी रक्षा बजट के मामले में अमेरिका, चीन से सबसे काफी आगे है। अमेरिका का पिछले साल रक्षा बजट 886 अरब डॉलर था। चीन की बढ़ती चुनौती को देखते हुए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन की सेना को मजबूत करने में जुटा है। वहीं भारत के साथ भी अमेरिका रणनीतिक सहयोग बढ़ा रहा है।
लगातार सेना को मजबूत करने में जुटे जिनपिंग
अब सवाल यह उठता है कि आखिर चीन अपने रक्षा बजट को क्यों बड़ा रहा है। दरअसल, इसके पीछे की वजह चीन का अमेरिका, ताइवान, जापान और भारत के साथ लगातार तनाव है। चीन के राष्ट्रपति का मुख्या उद्देश्य हाई-टेक मिलिट्री टेक्नोलॉजी शामिल करना, नए हथियार बनाना, अपनी तीनों सेनाओं को मजबूत करना, विमानवाहक पोतों की संख्या और परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाना है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि वह सेना को ऐसा बनाना चाहते हैं कि वह दुनिया के किसी भी कोने या देश में जाकर जंग को जीत सके। 2027 में चीनी सेना अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लेगी। ऐसा माना जा रहा है कि चीन उसी साल तक ताइवान पर कब्जा करने की भी कोशिश करेगा। इसके अलावा, यह इंडो पैसिफिक पर भी अपना पूरा प्रभुत्व जमाने की कोशिश करेगा।
जिनपिंग ने कहा था- 2050 तक दुनिया की सबसे ताकतवर सेना बनाऊंगा
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ समय पहले कहा था कि साल 2050 तक वो चीन की सेना को दुनिया की सबसे ताकतवर सेना बना देंगे। इसके लिए वो स्वदेशी तकनीकों पर ध्यान दे रहे हैं। चीन अपने हथियार, विमान, युद्धपोत, मिसाइल, परमाणु हथियार सबकुछ खुद बना रहा है। किसी से खरीद नहीं रहा है।
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इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट के डायरेक्टर ताई मिंग चेंग ने कहा कि जिनपिंग अगर रक्षा आधुनिकीकरण करना है, रिफॉर्म्स लाने हैं, तो उन्हें ज्यादा स्रोतों की जरूरत पड़ेगी। चीन को जितना खर्च अपनी मिलिट्री पर करना है, वह वर्तमान बजट से 30-35 गुना राशि है। क्योंकि इसमें R&D, खरीदारी, पैरामिलिट्री और कोस्टगार्ड का खर्चा शामिल नहीं है।
चीन की चुनौतियां भी बढ़ीं
चीन का संघर्ष इस समय कम से कम चार देशों से तो चल ही रहा है। अमेरिका, ताईवान, जापान और भारत। भारत के साथ सीमा विवाद, ताईवान पर कब्जा करने की चाहत, पूर्वी चीन सागर और दक्षिणी चीन सागर में बादशाहत हासिल करने की इच्छा चीन को अपनी सेना की ताकत बढ़ाने के लिए मजबूर कर रही है। इसके अलावा चीन ने बीते दिनों अपने रक्षा प्रमुख को बिना कोई वजह बताए पद से हटा दिया था। साथ ही कई शीर्ष जनरलों को भी बदला गया है। इससे साफ है कि चीन की सेना में समस्याएं भी हैं।
चीन के एयरफोर्स, मिसाइल फोर्स और रॉकेट फोर्स में हाल के दो वर्षों में काफी ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले सामने आने से यहां पर विकास का काम रुक गया। कई नेता और मिलिट्री ऑफिसर नजरबंद, सस्पेंड और जेल में हैं। लेकिन चीन लगातार अपना मिलिट्री-इंडस्ट्रियल बेस बढ़ा रहा है, ताकि सस्ती मिसाइलें और सस्ते लेकिन मारक हथियार बना सके।
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