कोलकाता, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। ममता सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महिलाओं के साथ बलात्कार करने वाले संदेशखाली के हैवान शाहजहां शेख को आखिरकार सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले शाहजहां शेख बंगाल पुलिस की गिरफ्त में था और उसे ममता सरकार द्वारा वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया जा रहा था। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए मंगलवार 5 मार्च को ममता सरकार को शाहजहां शेख की कस्टडी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। इसके बाद सीबीआई ने उसे बुधवार को गिरफ्तार किया।
ममता सरकार ने की बचाने की भरपूर कोशिश
आपको बता दें, ममता बनर्जी की सरकार ने शाहजहाँ शेख को बचाने की भरपूर कोशिश की। पहले तो उसे 55 दिनों तक जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया गया। उसके बाद 26 फरवरी को जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने ईडी या सीबीआई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया तो आनन फानन में बंगाल पुलिस ने 29 फ़रवरी को उसे गिरफ्तार किया ताकि ईडी और सीबीआई उसे गिरफ्तार न कर पाए। गिरफ्तार किये जाने के बाद ममता सरकार ने उसकी मेहमान नवाजी में कोई कमी नहीं छोड़ी और उसे वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। हालाँकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसका भी संज्ञान लिया और 5 मार्च 2024 को शाहजहां शेख की कस्टडी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार इसके पक्ष में नहीं थी। ममता सरकार शाहजहाँ शेख का कुछ ऐसे बचाव कर रही थी, जैसे वो ‘सबसे कीमती’ आदमी हो। उसे सीबीआई से बचाने के लिए ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से भी झटका लगा और आखिरकार बंगाल पुलिस को उसकी कस्टडी सीबीआई सौंपनी पड़ी।
संदेशखाली का पूरा मामला क्या है?
दरअसल, 5 जनवरी को ईडी की टीम पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में शाहजहां शेख के आवासों पर छापेमारी करने गई थी। लेकिन इस दौरान शाहजहां शेख ने अपने समर्थकों से ईडी की टीम पर हमला करवा दिया और फरार हो गया। इसके ठीक एक महीने बाद स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और उस पर यौन शोषण और जबरन जमीन कब्जाने जैसे कई आरोप लगाए। महिलाओं का कहना था कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनके घरों में यह चेक करने आते हैं कि कौन सी महिला सुंदर है। इसके बाद वे सुन्दर महिलाओं को उठाते और कई दिनों तक बलात्कार करते। जब उनका मन भर जाता तब वो उन्हें छोड़ देते। गांव की महिलाओं का आरोप था कि वो और उसके गुण्डे पुलिस के सामने ये सब करते थे। इन आरोपों के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।
आरोपी मुस्लिम, इसलिए राहुल गाँधी चुप
आपको बता दें, इस मामले में विपक्षी दलों ने मौन साध रखा है क्योंकि पीड़ित महिलाएं दलित समाज से है और आरोपी मुस्लिम समाज से। भीम आर्मी वालों को भी इस मामले में सांप सूंघ गया है। जुबान से एक शब्द निकालने की हिम्मत नहीं हो रही है। मुस्लिम वोट बैंक नाराज न हो जाए इस डर से राहुल-प्रियंका ने भी इस मामले में आँखें मूँद ली है। हालाँकि भाजपा इस मामले को जोर शोर से उठा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं जाकर दलित समाज की पीड़ित महिलाओं की व्यथा सुनी। महिलाओं ने पीएम को उन पर हुए अत्याचारों के बारे में अपनी पूरी आपबीती सुनाई। वहीं पीएम ने अत्याचारों के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं को मां दुर्गा का रूप बताया तथा उन्हें मदद का आश्वासन दिया।
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