सीकर, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। खाटूश्याम लक्खी मेला : राजस्थान के सीकर जिले में खाटूश्यामजी का 11 दिवसीय वार्षिक फाल्गुनी लक्खी मेला दसवें दिन पूरे परवान पर रहा। फाल्गुन एकादशी पर बाबा श्याम का जन्मोत्सव मनाया गया। बाबा खाटू श्याम की दोपहर 12:15 बजे मुख्य महंत मोहनदास जी महाराज सहित मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने महाआरती की। महाआरती के बाद बाबा श्याम रथ में सवार होकर खाटू नगरी के भ्रमण पर निकले। श्याम बाबा की सवारी पूरे खाटू नगरी में मुख्य मार्ग से होते हुए वापस कबूतर चौक पहुंची।

7 लाख से ज्यादा लोग बने रथयात्रा के साक्षी
बाबा श्याम के नगर भ्रमण पर लाखों की तादात में श्याम भक्तों ने नीले घोड़े पर असवार बाबा श्याम के दीदार किए। मेले व रथ यात्रा के लिए प्रसासन व मंदिर कमेटी की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। पूरे रास्ते पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात रहे। रथ यात्रा के दौरान भीड़ को काबू करने के लिए पुलिसकर्मियों ने कई जगह हल्का बल प्रयोग भी किया।

रंग बिरेंगें फूलों से हुआ विशेष श्रृंगार
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि आज बाबा श्याम का जन्मोत्सव होने के कारण बाबा का रंग बिरेंगें फूलों से विशेष श्रृंगार किया गया है। बाबा श्याम आज रथ में सवार होकर खाटू नगर भ्रमण पर निकले हैं। जिन्होंने बाबा के लक्खी मेले के दौरान दर्शन नही किए थे उन सब ने भी बाबा के दर्शन किए हैं।

मंदिर कमेटी अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने मेले की व्यवस्थाओं को लेकर कहा, ‘मेले में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने के कारण बीते दिन से ही लखदातार ग्राउंड शुरू कर दिया गया है। अगर इस तरह की और जगह मिल जाए तो उसे भी शानदार डवलप कर तैयार किया जाएगा, जिससे खाटू आने वाले श्रद्धालुओं को बाबा के दर्शन करने में काफी सुविधा मिल जाएगी।’
सूरजगढ़ के निशान के अर्पण के साथ खाटू मेले का समापन गुरुवार को
कल गुरुवार को सूरजगढ़ का निशान खाटूश्याम मंदिर के गुम्बद पर लगाने के बाद मेला संपन्न हो जाएगा। श्याम मंदिर के शिखर पर फहराए जाने वाली श्याम पताका खाटूधाम पहुँच चुकी है। इस निशान को फागुन शुक्ल पक्ष द्वादशी यानी 21 मार्च को मंदिर के शिखर पर फहराया जाएगा।
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13 फीट लंबा होता है सूरजगढ़ का ध्वज
जानकारी के अनुसार फागुन शुल पक्ष द्वादशी को बाबा को अर्पित किए जाने वाले इस सफेद ध्वज (निशान) को तैयार करने में करीब सात दिन का समय लगता है। इस ध्वज की लंबाई 13 फीट व चौड़ाई 9 फीट होती है। इसको तैयार करने के लिए 11 मीटर सफेद कपड़े के साथ कुछ लाल व पीले रंग का कपडा भी लगता है। इस ध्वज के निर्माण और पदयात्रा की जिम्मेदारी के लिए श्याम भक्तों का नाम करीब दो साल पहले ही तय हो जाता है।
इस निशान की सिलाई करने में राजकुमार टेलर को पांच दिन का समय लगता है। इसके बाद पेंटर महेंद्र राजोरिया इस निशान पर नीले घोड़े पर बैठे बाबा श्याम के साथ गाय-बछड़े, सूरज व पत्तों के चित्रण के साथ सूरजगढ़ निशान पदयात्रा लिखने के लिए दो दिन का समय लगाते हैं।इनसे पहले इनके पिता हेतराम राजोरिया करीब 35 वर्षों से ध्वज पर चित्रण करते थे।
निशान को फागुन शुल प्रतिपदा के दिन पूजा कर इसे श्री श्याम दरबार में स्थापित किया जाता है। पदयात्रा से पहले सुबह-शाम पूजा व आरती होती है। इसके बाद फागुन शुल द्वादशी को सुबह सवा ग्यारह बजे मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराते हैं।
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