नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। CAA: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में उन्होंने बताया कि CAA में मुसलमानों को छोड़कर 5 धर्मों को ही क्यों रखा।
अमित शाह ने कहा, “पाकिस्तान में आजादी के वक्त 23 फीसदी हिंदू थे जो अब 2.7 प्रतिशत ही हैं। आखिर ये लोग कहां गए। इनका जबरन धर्म परिवर्तन हुआ। इनके साथ अत्याचार हुआ और ये वहां से भागकर भारत आए। बांग्लादेश में लगभग 23 प्रतिशत हिंदू थे और आज 10 प्रतिशत बचे हैं। इनका धर्म परिवर्तन हुआ या फिर ये भागकर भारत आए।
उन्होंने कहा, “2 लाख से ज्यादा सिख और हिंदू अफगानिस्तान में थे। आज 378 हैं। ये लोग अपना और अपने परिवार का सम्मान बचाने भारत आए हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि इन्हें नागरिकता न दी जाए। हम सबको नहीं ला सकते हैं। मगर, ये तीनों देश इस्लामिक देश हैं और वहां मुस्लिम धार्मिक पीड़ित कैसे हो सकते हैं।”
सीएए धर्म से जुड़ा कानून तो मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या?
सीएए के धर्म से जुड़ा कानून होने के सवाल पर अमित शाह ने पूछा कि आखिर मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या है। उन्होंने कहा, “अगर धर्म के आधार पर कानून नहीं होना चाहिए तो फिर मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन कैसे किया जा सकता है।”
पीओके का मुसलमान भी हमारा और हिंदू भी
पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर को लेकर अमित शाह ने साफ कहा कि पीओके को भारत का ही हिस्सा है, इसमें हिंदू मुसलमान का सवाल पैदा ही नहीं होता है। वहां जो मुसलमान हैं वो भी हमारे हैं और जो हिंदू हैं वो भी हमारे हैं।
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केजरीवाल ने CAA कानून नहीं पढ़ा
सीएए पर अरविंद केजरीवाल के बयान पर कहा कि उन्होंने कानून ही नहीं पढ़ा है। हमने कानून में साफ बताया है कि 31 दिसंबर, 2014 तक जो शरणार्थी उनके लिए ये कानून है। अब वो पहले ही यहां आ गए हैं, वो आलरेडी यहां हैं। शरणार्थियों की जगह अगर वो बांग्लादेश से रोहिंग्या घुसपैठिये यहां उन पर कुछ बोलते तो थोड़ा निखरते।
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