नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। ED: पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के शासनकाल की तुलना में मौजूदा मोदी सरकार के राज में ईडी (ED) की कार्रवाइयों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोत्तरी हुई है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते 10 वर्षों में धन शोधन रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत ईडी की छापेमारी 86 गुना बढ़ गई है। ईडी ने इस दौरान 25 गुना ज्यादा संपत्ति जब्त की है।
आंकड़े बयाँ कर रहे दास्ताँ
आंकड़ों के अनुसार, ईडी ने बीते 10 वर्षों में पीएमएलए कानून के तहत 5,155 मामले दर्ज किए हैं, जो कि यूपीए सरकार में किए गए 1,797 मामलों की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। वहीँ मोदी सरकार में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 7,264 छापेमारी की, जबकि 2014 से पहले ईडी ने सिर्फ 84 छापेमारी की थी। इस तरह भाजपा सरकार में ईडी ने 86 गुना ज्यादा छापेमारी की हैं।
अब तक 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
ईडी ने बीते दशक में 755 लोगों को गिरफ्तार किया है और 1,21,618 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जबकि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में ईडी ने 29 लोगों को गिरफ्तार किया था और सिर्फ 5,086 करोड़ रुपये की संपत्ति ही जब्त की थी। इस तरह ईडी की गिरफ्तारी 26 गुना ज्यादा और संपत्ति जब्ती 24 गुना ज्यादा हुई है।
दोषसिद्धि में भी मिली सफलता
आकड़ों के मुताबिक, ईडी ने 12 गुना ज्यादा चार्जशीट दाखिल की हैं। ईडी ने 36 मामलों में 63 लोगों के खिलाफ दोष सिद्ध किया है और 73 चार्जशीट का निपटारा किया है। 2005 से 2014 के दौरान ईडी ने किसी मामले में कोई दोषसिद्धि नहीं की थी। इसके अलावा केंद्रीय जांच एजेंसी ने बीते 10 वर्षों में 1,971 कुर्की के आदेश जारी किए हैं, जबकि पहले ऐसी 311 कार्रवाई की गई थी।
2005 में लागू हुआ था पीएमएलए कानून
पीएमएलए कानून को साल 2002 में बनाया गया था और 1 जुलाई 2005 को इसे लागू कर दिया गया था। यह कानून टैक्स की चोरी रोकने, काले धन और धन शोधन पर रोकथाम के लिए बनाया गया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार, विरोधियों के खिलाफ ईडी का इस्तेमाल कर रही है। हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि सत्ताधारी दल का एजेंसी पर कोई दबाव नहीं है और यह स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है।
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