कोलकाता, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली (Sandeshkhali) मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की अगुवाई वाली पीठ ने बंगाल सरकार से कहा कि अगर आरोपी शांहजहां शेख पर आरोप सही साबित हुए तो आप जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं। “संदेशखाली में जो हुआ अगर उसमें 1 फीसदी भी सच्चाई है तो ये बेहद शर्मनाक है। पूरे जिला प्रशासन और सत्ताधारी दल की 100 फीसदी नैतिक जिम्मेदारी है।
संदेशखाली मामले में दायर हलफनामों पर सुनवाई कर रहा था हाईकोर्ट
आपको बता दें, राज्य का उच्च न्यायालय लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखली से सामने आए जबरन वसूली, भूमि हड़पने और यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच की मांग करने वाले हलफनामे पर सुनवाई कर रहा था। उच्च न्यायालय ने कहा, “भले ही एक हलफनामा सही साबित हो, यह शर्मनाक है। अगर एक फीसदी भी सच है तो यह बिल्कुल शर्मनाक है। पश्चिम बंगाल कहता है कि यह महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित है? अगर एक भी हलफनामा सही साबित होता है तो भी यह सब गलत है। पूरे जिला प्रशासन और सत्ताधारी दल की 100 फीसदी नैतिक जिम्मेदारी है।”

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि किसी नागरिक की सुरक्षा खतरे में है तो 100% जिम्मेदारी सत्तारूढ़ दल की है, इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।
शाहजहां शेख के वकील को लगाई फटकार
अदालत ने शाहजहां शेख का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील को भी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “55 दिनों से आप भागे हुए थे… लुका-छिपी खेल रहे थे। फिर आपने अस्पष्ट रुख अपना लिया। सिर्फ इसलिए कि आप अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, दुनिया में अंधेरा नहीं हो जाता।”
इस पर शाहजहां शेख के वकील ने जवाब में कहा, “मुझे फरार होने के लिए कहा गया था जबकि जमानत याचिका लंबित थी।” कोर्ट ने आखिरकार इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
हाई कोर्ट ने बंगाल पुलिस को बताया था पक्षपाती
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने बंगाल पुलिस को “पूरी तरह से पक्षपाती” माना था और शेख शाहजहां के खिलाफ आरोपों की “निष्पक्ष, ईमानदार और पूर्ण जांच” करने को कहा था। इसमें कहा गया है, “इससे बेहतर कोई मामला नहीं हो सकता… जिसे स्थानांतरित करने की आवश्यकता है (और) इसकी जांच सीबीआई द्वारा की जानी चाहिए।”
प्रियंका टिबरेवाल ने रखा पीड़ित महिलाओं का पक्ष
अदालत में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस करते हुए भाजपा नेता प्रियंका टिबरेवाल ने उन शिकायतों को दर्ज करने में कई लोगों को होने वाली कठिनाई को बताया। उन्होंने कहा कि मैं वहां गई हूं… उनके लिए कोलकाता आना बोझिल है।मैंने उनके लिए इसे आसान बनाने के लिए एक वेबसाइट का सुझाव दिया है।”
उन्होंने अदालत के जवाब में कहा, “सुझाव एक आयोग बनाने का है जहां लोग संपर्क कर सकते हैं और अपनी शिकायतें व्यक्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कमीशन और वेबसाइट दोनों का प्रावधान किया जा सकता है। मैं अकेली गई थी… मैंने देखा है कि कानून का शासन टूट गया है। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक राय नहीं है। जमीन भी हड़प ली गई। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन था।
डर के साये में जी रही पीड़िताएं
टिबरेवाल ने यह भी कहा कि उन्हें कई महिलाओं से शिकायतें मिली हैं, लेकिन बदले की कार्रवाई की चिंताओं के कारण वह उनका नाम बताने से बच रही हैं। उन्होंने दावा किया, “एक महिला थी जो अपने पिता से मिलने गई थी… उसे दिन के उजाले में ले जाया गया और (शेख) शाहजहां और अन्य कार्यकर्ताओं ने उसके साथ बलात्कार किया। टिबरेवाल के मजबूत तर्कों को सुनने के बाद अदालत ने सरकार की “नैतिक जिम्मेदारी” को लेकर तीखी टिप्पणी की है।
क्या है Sandeshkhali मामला
दरअसल, 5 जनवरी को ईडी की टीम पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में शाहजहां शेख के आवासों पर छापेमारी करने गई थी। लेकिन इस दौरान शाहजहां शेख ने अपने समर्थकों से ईडी की टीम पर हमला करवा दिया और फरार हो गया।
इसके ठीक एक महीने बाद स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और उस पर यौन शोषण और जबरन जमीन कब्जाने जैसे कई आरोप लगाए। महिलाओं का कहना था कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनके घरों में यह चेक करने आते हैं कि कौन सी महिला सुंदर है। इसके बाद वे सुन्दर महिलाओं को उठाते और कई दिनों तक बलात्कार करते। जब उनका मन भर जाता तब वो उन्हें छोड़ देते।
गांव की महिलाओं का आरोप था कि वो और उसके गुण्डे पुलिस के सामने ये सब करते थे। इन आरोपों के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया था।
ममता सरकार ने की बचाने की भरपूर कोशिश
आपको बता दें, ममता बनर्जी की सरकार ने शाहजहाँ शेख को बचाने की भरपूर कोशिश की। पहले तो उसे 55 दिनों तक जानबूझकर गिरफ्तार नहीं किया गया। उसके बाद 26 फरवरी को जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने ईडी या सीबीआई को उसे गिरफ्तार करने का आदेश दिया तो आनन फानन में बंगाल पुलिस ने 29 फ़रवरी को उसे गिरफ्तार किया ताकि ईडी और सीबीआई उसे गिरफ्तार न कर पाए।
गिरफ्तार किये जाने के बाद ममता सरकार ने उसकी मेहमान नवाजी में कोई कमी नहीं छोड़ी और उसे वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया गया। हालाँकि कलकत्ता हाई कोर्ट ने इसका भी संज्ञान लिया और 5 मार्च 2024 को शाहजहां शेख की कस्टडी सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार इसके पक्ष में नहीं थी। ममता सरकार शाहजहाँ शेख का कुछ ऐसे बचाव कर रही थी, जैसे वो ‘सबसे कीमती’ आदमी हो। उसे सीबीआई से बचाने के लिए ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से भी झटका लगा और आखिरकार बंगाल पुलिस को उसकी कस्टडी सीबीआई सौंपनी पड़ी।
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