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Pakistan Threatens To Close Vital Afghan Trade Corridor With India Amid Pakistan Afghanistan Conflictपाकिस्तान ने दी भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार रोकने की धमकी

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Pakistan Afghanistan Conflict: पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव अब चरम पर पहुँच गया है। इस बीच पाकिस्तान ने तालिबान को धमकी दी है। पाकिस्तान का कहना है कि अगर तालिबान ने सीमा पर तनाव कम नहीं किया तो वह भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार के लिए दिए जाने वाले ट्रांजिट रूट को रोक सकता है। भारत इसी रूट के जरिये तालिबान को गेहूं पहुंचाता है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने दी थी धमकी

इसी सप्ताह पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तालिबान को धमकी दी थी कि भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार के लिए दिए जाने वाले ट्रांजिट रूट को इस्लामाबाद रोक सकता है। आसिफ ने कहा था कि अगर काबुल हमें अपना दुश्मन समझता है तो वे हमसे उम्मीद कैसे करते हैं कि हम उन्हें व्यापार करने देंगे।

पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच तनाव का कारण

दरअसल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच डुरंड लाइन को लेकर विवाद चल रहा है। डुरंड लाइन पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा है। हालाँकि अफगान तालिबान इस अंतर्राष्ट्रीय सीमा को नहीं मानता। अफगान तालिबान पाकिस्तान के एक बड़े इलाके पर अपना अधिकार बताता है।

डुरंड लाइन (Durand Line)

इसके अलावा हाल ही में पाकिस्तान ने लाखों अफगान शरणार्थियों को जबरन अफगानिस्तान भेज दिया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया था। हाल ही में पाकिस्तान में 18 मार्च को एक आतंकी हमला भी हुआ था। इस हमले में 7 पाकिस्तानी जवान मारे गए थे। इस हमले का आरोप पाकिस्तान ने अफगान सीमा में रह रहे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों पर लगाया था।

इसके बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा में घुसकर एयर स्ट्राइक भी की थी। इस हमले में तीन बच्चों समेत आठ निर्दोषों की मौत हुई थी। जिसके बाद तालिबान ने पाकिस्तान को युद्ध की चेतावनी तक दे डाली थी और कहा था कि अगर यह शुरू हुआ तो पाकिस्तान संभाल नहीं पाएगा।

100 साल पुराना है पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा विवाद

आपको बता दें, पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा विवाद 100 साल से भी अधिक पुराना है। 1893 में अफ़ग़ान राजा और ब्रिटिश शासित भारत के विदेश मंत्री सर मोर्टिमर डूरंड के बीच हुए समझौते के बाद अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा ब्रिटिश इंडिया को दे दिया गया था। 1947 में पाकिस्तान के जन्म के बाद कुछ अफगान शासकों ने डूरंड समझौते की वैधता पर ही सवाल उठा दिए। तब से यह विवाद चला आ रहा है। जब भी पाकिस्तान डुरंड लाइन पर कंटीले तारों से सीमा बनाने की कोशिश करता है अफगान तालिबान उसे उड़ा देता है।

अब अफगानिस्तान को मदद कैसे भेजेगा भारत?

आपको बता दें, भारत अफगानिस्तान को भेजी जाने वाली मदद दो रास्तों के जरिये पहुंचाता है। एक रास्ता पाकिस्तान से होकर गुजरता है और दूसरा रास्ता चाबहार पोर्ट के जरिये। पाकिस्तान से होकर गुजरने वाला रास्ता छोटा होने के कारण भारत भी इसी रास्ते को तवज्जो देता है। लेकिन अफगानिस्तान को भेजी जाने वाली मदद भारत को अब चाबहार पोर्ट के जरिये भेजनी पड़ेगी।

चाबहार पोर्ट के जरिये काबुल जायेगा भारत का सामान

बता दें, चाबहार पोर्ट पोर्ट ईरान में स्थित है। इसका विकास भारत ने ही किया है ताकि ईरान के जरिये मध्य एशियाई देशों तक अपनी पहुँच बनाई जा सके। यह रुट पाकिस्तान द्वारा दिए जाने वाले ट्रांजिट रूट से थोड़ा लम्बा है।

अफगानिस्तान ने भी किया चाबहार पोर्ट से व्यापार का एलान

पाकिस्तान की धमकी के बाद अफगान तालिबान ने भी चाबहार पोर्ट से व्यापार का एलान कर दिया है। तालिबान ने कहा है कि वह अब अफगानिस्तान का अधिकांश व्यापार अब ईरान के चाबहार पोर्ट के जरिए करेगा और पाकिस्तान के कराची पोर्ट पर अपनी निर्भरता पूरी तरह समाप्त कर देगा।

चाबहार पोर्ट (Iran)

गौरतलब है कि अफगानिस्तान का अधिकांश व्यापार अब तक पाकिस्तान के कराची पोर्ट के जरिए ही होता रहा है। इसके बदले में पाकिस्तान को भी अच्छी कमाई होती रही है। लेकिन कराची पोर्ट से व्यापार रोकने का एलान पहले से ही कंगाल पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित होने जा रहा है।

भारत से नजदीकियां बढ़ाने में जुटा तालिबान

आपको बता दें, तालिबान काफी समय से भारत के साथ नजदीकियां बढ़ाने में जुटा है क्योंकि भारत ही वो देश है जो वहां के नागरिकों को मदद दिए जा रहा है। भारत के गेहूं की बदौलत ही वहां के नागरिकों का पेट भर रहा है। गेहूं के अलावा भारत बड़ी मात्रा में दवाइयां भी भिजवा रहा है।

इसी महीने की शुरुआत में भारत के विशेष दूत ने काबुल में अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी। इस दौरान तालिबान ने भारत के साथ व्यापार को लेकर चाबहार पोर्ट को अधिक इस्तेमाल किए जाने की चर्चा की थी। मुत्ताकी ने अफगानिस्तान के विकास में भारत के महत्व का भी जोर दिया। इसके पहले तालिबान सरकार ने चाबहार पोर्ट के पास विकास योजनाओं में निवेश को भी मंजूरी दी थी।

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