Fri. Mar 14th, 2025
Government Unveils Overhaul of Waqf ActOverhauling Waqf Management: Why India Needs a New Law

नई दिल्ली, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Waqf Act Amendment Bill 2024: वक्‍फ बोर्ड के द्वारा गैर कानूनी रूप से जमीन कब्जाने की खबरें आये दिन आती रहती हैं। हाल ही में वक्फ बोर्ड (Waqf Board) ने तमिलनाडु के एक पूरे गांव (थिरुचेंथुराई) पर अपना दावा ठोक दिया था। इस गांव में 500 वर्ष पुराना सुंदरेश्वर मंदिर भी था। लेकिन जल्द ही ऐसी खबरें अतीत की बात हो जाएँगी क्योंकि केंद्र की मोदी सरकार ने वक्‍फ बोर्ड के असीमित अधिकारों पर कटौती से जुड़ा बिल गुरुवार 8 अगस्त 2024 को सदन में पेश कर दिया है।

कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। वहीं, सरकार का कहना है कि इस विधेयक के जरिए वक्फ बोर्ड को मिली असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। बता दें, इस बिल के माध्यम से सरकार वक्‍फ बोर्डों के उस अधिकार पर लगाम लगाना चाहती है, जिसके तहत वक्‍फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्‍फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर देता हैं। इसके बाद उस संपत्ति को वापस लेने के लिए जमीन के मालिक को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।

ऐसे में आइये जानते हैं कि Waqf Board होता क्या है? सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है वो क्या है? Waqf Board के पास कितनी जमीन है? इस विधेयक से क्या बदलेगा? विपक्ष क्यों इसका विरोध कर रहा है? विधेयक पर सरकार का क्या कहना है?

 

पहले जानते हैं कि वक्फ और Waqf Board क्या होता है?

वक्फ कोई भी चल या अचल संपत्ति हो सकती है, जिसे इस्लाम को मानने वाला कोई भी व्यक्ति धार्मिक कार्यों के लिए दान कर सकता है। इस दान की हुई संपत्ति का कोई भी मालिक नहीं होता है। दान की हुई इस संपत्ति का मालिक अल्लाह को माना जाता है। लेकिन, उसे संचालित करने के लिए कुछ संस्थान बनाए गए है।

वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड (Waqf Board) होते हैं। ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं। राज्य स्तर पर बने वक्फ बोर्ड इन वक्फ की संपत्ति का ध्यान रखते हैं। संपत्तियों के रखरखाव, उनसे आने वाली आय आदि का ध्यान रखा जाता है। केंद्रीय स्तर पर सेंट्रल वक्फ काउंसिल राज्यों के वक्फ बोर्ड को दिशानिर्देश देने का काम करती है।

 

कब बना था Waqf Board?

यहाँ बताना जरूरी है कि साल 1954 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार के समय Waqf Act 1954 पारित किया गया था। इसके बाद इसे निरस्त कर दिया गया और 1995 में कांग्रेस सरकार द्वारा एक नया Waqf Act 1995 पारित किया गया जिसने वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियां प्रदान की। 1995 का Waqf Act कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्‍फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्‍फ की नहीं है। यानि जिस जगह पर वक्‍फ बोर्ड उंगली रख दे वो जगह उसकी।

1995 में Waqf Board को असीमित शक्तियां देने बाद भी कांग्रेस नहीं रुकी और साल 2013 में मनमोहन सरकार ने वक्‍फ बोर्ड को संपत्ति छीनने की ऐसी असीमित शक्ति दे दी जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी। यानि अगर वक्‍फ बोर्ड आपकी संपत्ति पर दावा ठोक दे तो आप उसे किसी अदालत में चुनौती नहीं दे सकते। मनमोहन सरकार के इस कु-कृत्य के बाद Waqf Board जमीन माफिया बन गया। वक्फ बोर्ड द्वारा व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर-गुरुद्वारों की भूमि को कब्जाने जैसे मामलों की बाढ़ सी आ गयी। बता दें, मुस्लिम देशों में भी Waqf Board जैसी कोई संस्था नहीं है और न ही किसी धार्मिक संस्था के पास इतनी असीमित शक्तियां हैं।

 

Waqf Board के पास कितनी संपत्ति है?

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि शुरुआत में Waqf Board की पूरे भारत में करीब 52,000 संपत्तियां थीं। 2009 तक यह संख्या 4,00,000 एकड़ भूमि को कवर करते हुए 3,00,000 पंजीकृत संपत्तियों तक पहुंच गई थी। लेकिन वर्तमान में विभिन्न राज्यों के वक्‍फ़ बो्डों के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों का क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। रेलवे और सेना के बाद वक्‍फ बोर्ड के पास ही सबसे ज्यादा जमीन है।

 

मोदी सरकार ने जो वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया है वो क्या है?

मोदी सरकार ने वक्फ बोर्ड से जुड़े दो बिल पेश किये हैं। पहला वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और दूसरा मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024। पहले बिल के जरिए वक्‍फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे। जबकि दूसरे बिल के जरिये वक्फ कानून 1923 को समाप्त किया जाएगा। इन दो बिलों के जरिये मोदी सरकार वक्फ कानून में 44 संशोधन करेगी। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन है।

 

Waqf Act में क्या-क्या बदलाव होंगे?

  • मोदी सरकार द्वारा पेश विधेयक में Waqf Act 1995 के सेक्शन 40 को हटाने का प्रस्ताव है। यही सेक्शन वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता है।
  • नए बिल में एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के जरिए वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का प्रस्ताव है। नए अधिनियम के लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर संपत्तियों का विवरण दर्ज करना होगा।
  • नए विधेयक में प्रावधान है कि वक्फ बोर्ड यदि किसी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित करना चाहता है तो उसे सम्बंधित पक्षों को पहले नोटिस जारी करना होगा।
  • नए संशोधनों के अनुसार, यदि वक्फ बोर्ड आपकी संपत्ति को अपनी संपत्ति घोषित कर देता है तो उस आदेश खिलाफ हाई कोर्ट में अपील के लिए 90 दिनों का समय दिया जाएगा। छह महीने के अंदर उस मामले का निपटारा करना अनिवार्य होगा।
  • वक्फ संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नरों की नियुक्ति का प्रावधान है। सर्वे कमिश्नर उस जिले का कलक्टर होगा। जिला कलेक्टर वक्फ की सम्पत्तियों का सत्यापन करेंगे। जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार होगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी।
  • धारा 3सी में कहा गया है कि इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई या घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी। यदि कोई सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसी कोई संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो स्थानीय कलेक्टर को भेजा जाएगा। कलेक्टर जांच करेंगे और तय करेंगे कि संपत्ति सरकारी संपत्ति है या नहीं। वह अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगे। इसमें एक उप-खंड भी जोड़ा गया है कि ऐसी संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, जब तक कलेक्टर अपनी रिपोर्ट नहीं दे देते।
  • नए विधेयक से केंद्र को किसी भी वक्फ का लेखा परीक्षण कराने का निर्देश देने की शक्ति भी मिलेगी। यह लेखा परीक्षण भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षक या केंद्र सरकार द्वारा इस काम के लिए नामित किसी अधिकारी द्वारा किया जाएगा।
  • प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक केंद्रीय वक्‍फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसमें दो महिलाओं को रखना भी अनिवार्य होगा। इसमें मुस्लिम समुदाय के अन्य पिछड़ा वर्ग- शिया, सुनी, बोहरा, आगाखानी को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
  • केंद्रीय वक्‍फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, 3 सांसद, मुस्लिम संगठनों के 3 प्रतिनिधि, मुस्लिम कानून के 3 जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के 2 पूर्व जज, एक वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 4 लोग, भारत सरकार के सचिव आदि होंगे।
  • नए विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि केवल मुसलमान ही अपनी चल या अन्य संपत्ति वक्फ परिषद या बोर्ड को दान कर सकते हैं। इसके अलावा यह फैसला केवल कानूनी मालिक ही ले सकता है।
  • नये विधेयक में सरकार ने सुझाव दिया है कि वक्फ बोर्ड द्वारा प्राप्त धन का इस्तेमाल विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए।

 

क्यों पड़ी Waqf Act में बदलाव की जरूरत?

आपको बता दें, देश में वक्फ बोर्ड द्वारा व्यक्तिगत भूमि, सरकारी भूमि, मंदिर-गुरुद्वारों की भूमि को कब्जाने जैसे मामलों की बाढ़ सी आ गयी थी। ऐसे कई मामले सामने आये जिनमें वक्फ बोर्ड ने पूरे के पूरे गांव और किले को अपनी संपत्ति घोषित कर दिया था।

  1. पहला मामला : तमिलनाडु का थिरुचेंथुराई गांव है। स्थानीय Waqf Board ने पूरे गांव को अपनी संपत्ति घोषित करके निवासियों को चौंका दिया था। इस गांव में 1500 साल पुराना सुंदरेश्वर मंदिर भी है। जब राजगोपाल नाम के व्यक्ति ने अपनी जमीन बेचने का प्रयास किया तो यह मामला समाने आया था। राजगोपाल जब अपनी जमीन बेचने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँचे तो उन्हें पता चला कि जिस जमीन को बेचने के बारे में वह सोच रहे हैं वह उनकी है ही नहीं बल्कि, जमीन वक्‍फ हो चुकी है और अब उसका मालिक वक्‍फ बोर्ड है। इतना ही नहीं, सारे गाँव वालों की जमीन ही वक्‍फ संपत्ति घोषित हो चुकी थी।
  2. दूसरा मामला  : इसके अलावा साल 2013 में वक्फ बोर्ड ने मध्य प्रदेश के बुरहान पुर किले पर ही अपना दावा ठोक दिया था। वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि शाह शुजा का मकबरा, नादिर शाह का मकबरा, बीबी साहब की मस्जिद और बुरहानपुर किले में स्थित महल वक्फ की संपत्ति है। वक्फ बोर्ड ने इन पर अपना स्वामित्व जताते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से इन स्थलों को खाली करने के लिए कहा। इस पर ASI ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की। इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने ASI के पक्ष फैसला सुनाते हुए वक्फ बार्ड को लताड़ लगाई थी और कहा था कि कल को तुम लाल किले और ताजमहल को भी अपनी संपत्ति घोषित कर दोगे। फिर पूरे हिंदुस्तान को अपनी संपत्ति बता दोगे।

 

Madhya pradesh high court (Credit : e-Committee)

 

क्या बोले विपक्ष के नेता?

  1. कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है। उन्होंने कहा कि विधेयक आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है। उनका तर्क है कि विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव की वजह से लाया गया है। उन्होंने अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा कि इस बिल में यह प्रावधान है कि गैर मुस्लिम भी वक्फ बोर्ड के सदस्य हो सकते हैं। यह किसी धर्म का आस्था और स्वतंत्रता पर हमला है।
  2. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि भाजपा हताश और निराश कट्टर समर्थकों के खातिर यह विधेयक ला रही हैं। उनका कहना है कि यह सोची समझी राजनीति के तहत किया जा रहा है। सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी ने विधेयक के माध्यम से मुस्लिमों के साथ अन्याय होने की बात कही। नदवी का कहना है कि अगर यह कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे। कहीं ऐसा नहीं हो कि जनता दोबारा सड़कों पर आ जाए।
  3. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि Waqf Act Amendment Bill 2024 इस बात का सबूत है कि मोदी सरकार मुसलमानों की विरोधी है। मोदी सरकार बोर्ड की स्वायत्तता छीनना चाहती है और इसमें दखल देना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं तो प्रशासनिक अव्यवस्था होगी। Waqf Board की स्वायत्ता खत्म हो जाएगी। वक्फ बोर्ड पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा तो उसकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी। इसके अलावा राजद, एनसीपी (शरद गुट), शिवसेना (उद्धव गुट) समेत अन्य दलों ने भी प्रस्तावित कानून का अलग-अलग तर्कों के साथ विरोध किया है।
Asaduddin Owaisi (Credit : Hindustan Times)

बिल पर सरकार का क्या कहना है?

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सदन में विधेयक पर चर्चा करते हुए कहा कि यह बिल सच्चर कमेटी की सिफारिशों के आधार पर ही लाया गया है। इसी में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में दो महिलाएं होनी चाहिए। इसी में की गई सिफारिशों को लागू करने के लिए हम यह बिल लेकर आए हैं। इस बिल में जो भी प्रावधान हैं, उसमें संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। किसी का हक छीनने की बात तो छोड़ दीजिए, यह बिल उन्हें हक देने के लिए लाया गया है जिन्हें आज तक उनका हक नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि पहले भी कई बदलाव हो चुके हैं। 1995 में जो संसोधन किए गए थे, उन्हें 2013 में लाए गए संसोधनों के जरिए निष्क्रिय कर दिया गया, इसलिए यह बिल लाना पड़ा है। 1995 का Waqf Act Amendment Bill पूरी तरह से निष्प्रभावी रहा है। इसलिए यह संसोधन करना पड़ रहा है। रिजिजू ने विपक्ष से कहा कि इस बिल का समर्थन कीजिए करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी। वक्फ बोर्ड पर चंद लोगों ने कब्जा किया है। आम मुसलमान लोगों को जो इंसाफ नहीं मिला उसे सही करने के लिए यह बिल लाया गया है।

Kiren Rijiju (Credit : Mint)

अब JPC को भेजा जाएगा बिल

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने Waqf Act Amendment Bill 2024 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया। मगर यह लोकसभा में ही अटक गया। अब विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा। विपक्षी दलों ने विधेयक पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। केंद्र सरकार में सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी विधेयक को जेसीपी के पास भेजने की वकालत की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बात करके संयुक्त संसदीय समिति का गठन करेंगे।

 

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