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Nasa Mars Mission: NASA seeks cheaper ideas for Mars sample return mission amid budget crunchNASA's Mars Perseverance Rover (Photo Credit - NASA)

वाशिंगटन, उज्जवल इण्डिया न्यूज़ डेस्क। Nasa Mars Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) का मंगल मिशन मुश्किल में फंस गया है। दरअसल, नासा द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर ने वहां की मिट्टी के नमूने तो जमा कर लिए हैं लेकिन उन्हें लाने के लिए नासा के पास धन नहीं बचा है। जिसके चलते अब नासा मंगल ग्रह से मिट्टी के नमूने लाने के सस्ते तरीके खोज रही है। एजेंसी ने कहा है कि तंग बजट के कारण अब ये सस्ते तरीके खोजना उसकी वैज्ञानिक प्राथमिकताओं में शामिल हो गया है।

निजी कंपनियों को भेजा प्रस्ताव

NASA अधिकारियों के मुताबिक एजेंसी के सारे केंद्रों और निजी कंपनियों को भी इस परियोजना में मदद के लिए एक औपचारिक अनुरोध भेजा जा रहा है। यह काम तकनीकी रूप से बेहद जटिल है इसलिए नासा हरसंभव कोशिश कर रही है। उसे उम्मीद है कि विभिन्न वैज्ञानिक अपने प्लान भेजेंगे जिनकी इस साल समीक्षा की जाएगी।

NASA

NASA प्रशासक निकी फॉक्स ने कहा कि मंगल से मिट्टी के नमूने लाने के लिए नया तरीका खोजने के बजाय किसी मौजूदा तरीके को काम में लिया जाएगा जो Proven Technology पर आधारित होगा। इससे समय और धन की बचत हो सकेगी और जोखिम भी कम रहेगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया कि मौजूदा तकनीक से जो काम अब तक नहीं हो पा रहा है, उसे उसी तकनीक के इस्तेमाल से कम खर्च में कैसे किया जाएगा। इसमें एक अन्य ग्रह से रॉकेट लॉन्च कर उसे धरती पर लाने जैसा जटिल काम शामिल है।

अमेरिकी संसद ने नासा के बजट में कर दी थी भरी कटौती

आपको बता दें, हाल ही में अमेरिकी संसद ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बजट में भारी कटौती कर दी थी। इसी के चलते नासा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसी के चलते लॉस एंजेल्स स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) से सैकड़ों लोगों की नौकरी जा चुकी है। मंगल अभियान का दल भी इसी लैब से काम करता है।

2021 से मंगल पर नमूने जमा कर रहा रोवर

आपको बता दें, मंगल मिशन के तहत NASA का रोबोटिक रोवर पर्सीविरेंस (Perseverance Rover) साल 2021 से मंगल पर नमूने जमा कर रहा है। पर्सीविरेंस ने मंगल ग्रह की प्राचीन झील जेजेरो के तल में जमी तलछट के नमूने जमा किए हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस तलछट में सूक्ष्म जीवों के होने के सबूत मिल सकते हैं।

This image shows the remains of an ancient delta in Mars’ Jezero Crater, which NASA’s Perseverance Mars rover will explore for signs of fossilized microbial life.

इस तरह धरती पर लायी जाएगी मंगल ग्रह की मिट्टी

मंगल ग्रह से नमूने जमा करना मंगल मिशन का पहला चरण था। दूसरे चरण के तहत एक दूसरा रोबोटिक लैंडिंग क्राफ्ट भेजा जाना है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की मदद से जाने वाले इस अभियान का मकसद मंगल पर उतरकर पर्सीविरेंस से वे नमूने लेना होगा। इन नमूनों को यह लैंडर एक रॉकेट में रखकर मंगल की सतह से लॉन्च करेगा। उसके बाद एक तीसरा यान भेजा जाएगा जो मंगल की कक्षा में पहुंचकर उस रॉकेट से नमूने लेगा और उसे धरती पर वापस लाएगा।

Sample Retrieval Lander Concept

11 अरब डॉलर तक जा सकता है अभियान का खर्च

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि तीसरा यान 2027-28 तक लॉन्च किया जाएगा और 2030 के दशक की शुरुआत में यह नमूने लेकर धरती पर लौटेगा। इस पूरे अभियान पर 5 से 7 अरब डॉलर का खर्च होने का अनुमान है। लेकिन स्वतंत्र समीक्षकों ने पाया कि आधुनिक तकनीक के तहत मंगल से नमूने वापस लाने का कुल खर्च 11 अरब डॉलर तक जा सकता है और इसके 2040 से पहले धरती पर लौटने की संभावना ,बहुत कम है।

नासा के अन्य अभियानों पर पड़ेगा प्रभाव

नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा, “कुल मिलाकर 11 अरब डॉलर का बजट बहुत ज्यादा है और 2040 की समय-सीमा बहुत दूर।” अगर नासा इसी डिजाइन पर काम करती है तो उसकी अन्य वैज्ञानिक परियोजनाएं प्रभावित होंगी. मसलन, शनि ग्रह के बर्फीले उपग्रह टाइटन पर यान भेजने और शुक्र ग्रह पर दो यान भेजने की परियोजनाओं पर असर पड़ेगा। बिल नेल्सन को उम्मीद है कि नासा, जेपीएल और स्पेस इंडस्ट्री में सक्रिय अन्य प्रतिभाशाली लोग इस समस्या का समाधान खोज लेंगे।

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